Saraikela/Kharsawan : मंगलवार को दिल्ली राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वालों को पद्म सम्मान से नवाजा. इसी कड़ी में झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला की छुटनी देवी को पद्मश्री सम्मान दिया गया. डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली छुटनी देवी के नाम की घोषणा इसी साल 25 जनवरी को पद्मश्री पुरस्कार के लिए की गई थी. छुटनी देवी को डायन-बिसाही के खिलाफ संघर्ष के लिए समाजसेवा के क्षेत्र में यह सम्मान दिया गया है. डायन-बिसाही के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ छुटनी देवी ने मुहिम चला रखी है. इस सम्मान के साथ ही 62 वर्षीय छुटनी देवी के नाम के आगे भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ गया. वर्तमान में सरायकेला समेत आसपास के जिलों में डायन कुप्रथा के खिलाफ लगातार कार्य कर रही है. इसे भी पढ़ें : पूर्वी">https://lagatar.in/diwali-faded-for-1-28-lakh-pensioners-of-east-singhbhum-money-was-not-received-even-in-chhath/">पूर्वी
सिंहभूम के 1.28 लाख पेंशनरों की फीकी रही दिवाली, छठ में भी नहीं मिला पैसा छुटनी देवी सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस पंचायत के भोलाडीह गांव की रहने वाली है. महज 12 साल की उम्र में उनकी शादी गम्हरिया थाना अंतर्गत सामरम पंचायत (वर्तमान में नवागढ़) निवासी धनंजय महतो (अभी मृत) से हुई थी. वर्ष 1995 में पड़ोसी की बेटी बीमार हो गई थी. ग्रामीणों को शक हुआ था कि छुटनी ने कोई जादू- टोना कर उसे बीमार कर दिया है. इसके बाद गांव में पंचायत हुई, जिसमें उसे डायन करार देते हुए लोगों ने प्रताड़ित किया था. ग्रामीणों की प्रताड़ना से तंग आकर छुटनी देवी मायके चली आई. इसके बाद छुटनी देवी डायन कुप्रथा की रोकथाम को लेकर लगातार आवाज उठाती रही. इसके बाद एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) से जुड़कर डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने लगी. आशा के सौजन्य से बीरबांस में पुनर्वास केंद्र का संचालन कर रही हैं. छुटनी देवी सरायकेला जिला इकाई की बतौर निदेशक के तौर पर कार्यरत हैं. [wpse_comments_template]
सरायकेला : कभी डायन कहकर प्रताड़ित की गई थी, अब पद्मश्री छुटनी कहलाएगी

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