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आरयू के M.Ed कॉलेज में सेशन लेट, छात्रों का भविष्य अधर में

Abhilasha Shahdeo Ranchi :   रांची यूनिवर्सिटी अंतर्गत आने वाले एमएड कॉलेज में सेशन लेट चल रहा है. मनराखन महतो(रांची),  बेथेस्डा महिला (रांची) और उर्सलाइन महिला बीएड कॉलेज, लोहरदगा में M.Ed सत्र 2022-24 जून 2024 में ही समाप्त हो जाना चाहिए था. लेकिन जनवरी 2025 में भी यह अधर में लटका हुआ है. फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा नवंबर के अंतिम सप्ताह में ही हो गयी है. परीक्षा हुए करीब डेढ़ माह होने को हैं. लेकिन अब तक रिजल्ट जारी नहीं की गयी है. ऐसे में छात्रों का पूरा एक वर्ष बर्बाद होने के कगार पर है. रांची यूनिवर्सिटी के बाकी विभागों का भी यही हाल है. वहां भी सेशन काफी लेट चल रहा है.

जल्द रिजल्ट कर दिया जायेगा जारी : ओएसडी

इस संबंध में परीक्षा नियंत्रक (एग्जामिनेशन कंट्रोलर) के ओएसडी विकास कुमार ने कहा कि प्रैक्टिकल परीक्षा की डेटशीट तैयार कर ली गयी है. 21 जनवरी से परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया है. कहा कि जल्द परीक्षा का रिजल्ट भी जारी कर दिया जायेगा. वहीं डीएसडब्लू सुदेश कुमार साहू ने कहा कि वो ये डिपार्टमेंट नहीं देखते हैं. इसके बारे एक्जामिनेशन डिपार्टमेंट से बात करिये. बता दें कि आरयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा के निलंबित होने के बाद परीक्षा कार्य का प्रभार ओएसडी डॉ. विकास कुमार संभाल रहे हैं.

जून 2024 में ही खत्म हो जाना चाहिए था सेशन 

बता दें कि एमएड सत्र 2022-24 का फर्स्ट सेमेस्टर, जो दिसंबर 2022 या जनवरी 2023 में होना चाहिए था. लेकिन यह परीक्षा करीब एक साल बाद सितंबर 2023 में लिया गया. इसके बाद, सेंकेंड सेमेस्टर, जो जून 2023 में होना था,  जो फरवरी 2024 में हुआ. थर्ड सेमेस्टर की परीक्षा भी समय पर आयोजित नहीं हो पायी. यह जून 2024 में हुई. फोर्थ सेमेस्टर की परीक्षा जून 2024 में ना होकर साल 2024 में नवंबर के अंतिम सप्ताह में हुई. फाइनल सेमेस्टर के छात्र प्रैक्टिकल परीक्षा होने का इंतजार कर रहे हैं.

70 से 80 छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़

सत्र देर से चलने के कारण तीन कॉलेजों के करीब 70 से 80 छात्रों का करियर अधर में लटका हुआ है, क्योंकि वे ना तो किसी अन्य पाठ्यक्रम में एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं और ना ही किसी कॉलेज में पढ़ाने के लिए आवेदन दे पा रहे हैं. विश्वविद्यालय की इस लापरवाही ने छात्रों के लिए एक असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है. यदि यह समस्या जल्द हल नहीं होती है, तो यह न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है.

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