Ravi Bharti
Ranchi : भाजपा की सात महिला उम्मीदवार पिती, पति, और ससुर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगी. टिकट कंफर्म हो चुका है. अब ये फील्ड में अपनी ताकत झोंकेंगी. इन महिला उम्मीदवारों में मीरा मुंडा, गीता कोड़ा, सीता सोरेन, रागिनी सिंह, तारा देवी, पूर्णिमा दास और मंजू देवी के नाम शामिल हैं.
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रघुवर दास की बहू हैं पूर्णिमा दास
पूर्णिमा दास को जमशेदपुर पूर्वी से टिकट मिला है. पूर्णिमा पूर्व सीएम सह ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू हैं. रघुवर दास इस सीट से कई दफा चुनाव जीत चुके हैं. सिर्फ 2019 के चुनाव में उन्हें सरयू राय के खिलाफ शिकस्त मिली थी. पूर्णिमा के कंधों पर फिर से इस सीट पर परचम लहराने की जिम्मेवारी सौंपी गई है.
मीरा मुंडा पति की विरासत को संभालेंगी
भाजपा ने पोटका विधानसभा सीट से तीन बार जीत हासिल करने वाली विधायक मेनका सरदार का टिकट काट मीरा मुंडा को उम्मीदवार बनाया है. मीरा मुंडा पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं. लगभग तीन दशक से सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं हैं. उनपर भी अपने पति की राजनीतिक विरासत को संभालने की जिम्मेवारी है. मीरा 1999 भाजपा की सदस्य रहीं हैं.
पिता की विरासत को मंजू बढ़ाएंगी आगे
भाजपा ने जमुआ से मंजू देवी पर दांव लगाया है. मंजू पूर्व विधायक सुकर रविदास की बेटी हैं. 2019 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिली थी. हाल के दिनों उन्होंने अपने पिता के साथ भाजपा का दामन थामा था. भाजपा ने मंजू पर विश्वास जताते हुए टिकट कंफर्म कर दिया.
राजनीतिक परिवार के जुड़ी हैं सीता
जामताड़ा से बीजेपी ने सीता सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले सीता सोरेन दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. इससे पहले वे झामुमो के टिकट पर जामा से विधायक भी रह चुकी हैं. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू भी हैं. इस हिसाब से राजनतिक विरासत को भी संभालने की जिम्मेवारी उन पर है.
पति की विरासत को बचाने की कवायद
तारा देवी के ऊपर पति की विरासत को बचाए रखने की जिम्मेवारी है. तारा देवी को बीजेपी ने सिंदरी सें टिकट दिया है. तारा देवी इंद्रजीत महतो की पत्नी हैं. विधायक इंद्रजीत महतो लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. तारा देवी जिला परिषद सदस्य भी रह चुकी हैं.
पति की विरासत को संभालेंगी रागिनी
भाजपा ने झरिया से रागिनी सिंह को टिकट दिया है. रागिनी पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी हैं. संजीव सिंह झरिया से विधायक रह चुके हैं. फिलहाल वे जेल में हैं. इस कारण पति के जेल जाने के बाद से रागिनी सिंह भाजपा का झंडा बुलंद करती रही हैं. पति की राजनीतिक विरासत को बचाए रखने की जिम्मेवारी अब रागिनी सिंह पर है.
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