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पलामू में बढ़ता सेक्स रैकेट का जाल, 1500 महिलाएं संलिप्त, कई HIV संक्रमित

  • गरीबी-मजबूरी बनी वजह
  • मुख्य धारा से जोड़ने के लिए नहीं की जा रही हैं कोई पहल
Sanjeet Yadav  Palamu :  पलामू में सेक्स रैकेट का धंधा तेजी से फैलता जा रहा है. अब यह शहरों से लेकर सीमावर्ती इलाकों तक फैल चुका है. शाम ढलते ही शहर के कई होटलों और निजी आवासों में देह व्यापार का काम शुरू हो जाता है. इतना ही नहीं, व्हाट्सएप ग्रुप और फर्जी स्पा सेंटर्स की आड़ में भी यह धंधा फल फूल रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक,  पलामू जिले में 1500 से अधिक महिलाएं देह व्यापार में संलिप्त हैं. इनमें अधिकतर की उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच है. इनमें से कई HIV संक्रमित भी पायी गयी हैं. सूत्रों की मानें तो देह व्यापार के धंधे में 10% से अधिक स्कूली बच्चियां और 50% से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं. शहर में बढ़ते सेक्स रैकेट के धंधे से ना सिर्फ सामाजिक माहौल प्रभावित हो रहा है, बल्कि HIV संक्रमण जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकट भी बढ़ते जा रहे हैं. सेक्स  रैकेट में ना सिर्फ पलामू के विभिन्न हिस्सों (मेदिनीनगर, पाटन, चैनपुर ,हुसैनाबाद और बिश्रामपुर) की लड़कियां और महिलाएं शामिल हैं, बल्कि बिहार, छत्तीसगढ़, रांची और वाराणसी से भी लड़कियों को लाकर हाई-प्रोफाइल क्लाइंट्स के पास भेजा जाता है.
इस पूरे मामले में जब Lagatar.in की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की, तो कई चौंकाने वाली और चिंताजनक बातें सामने आयी. सेक्स वर्कर्स ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि यह रास्ता उन्होंने किसी शौक या चाहत में नहीं, बल्कि गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक परिस्थितियों की मजबूरी में चुना. 
जानें किसकी क्या थी मजबूरी : 
पलामू की रहने वाली महिला सेक्स वर्कर ने बताया कि पति हमेशा बीमार रहते हैं, घर में कमाने वाला कोई नहीं. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. गरीबी और मजबूरी के कारण एक पड़ोसन के कहने पर इस धंधे में आ गयी. कहा कि समाज के डर से छिप-छिपाकर काम करना पड़ता है. घर पर ऑफिस जाने की बात कहकर निकलते हैं. अगर सरकार रोजगार का कोई विकल्प देती, तो गलत धंधे को छोड़कर काम करती.
गढ़वा की रहने वाले महिला फीमेल सेक्स वर्कर ने बताया कि बचपन से ही माता-पिता गुजर गये. इसके बाद नाना-नानी के साथ रह रही थी.  22 की उम्र में एक महिला ने मुझे एक दिन में 10 हजार रुपये देने का लालच देकर इस काम में धकेल दिया. कहा कि अब तो इस धंधे में सिर्फ 500 से 1000 रुपये ही मिलते हैं. बताया कि कई बार तो पुरुष नशे की हालत में संबंध बनाने के दौरान मारपीट भी करते हैं, लेकिन अपना दर्द किसी के पास बयां नहीं कर पाते हैं.
रांची की रहने वाली फीमेल सेक्स वर्कर ने बताया कि देह व्यापार के लिए कोलकाता, छत्तीसगढ़ और बिहार से अलग-अलग समूह बनाकर वे लोग पलामू सहित झारखंड के अन्य बड़े शहरों में जाते हैं. गढ़वा की एक महिला इसे लीड करती है, जो मेदिनीनगर में  ग्राहकों से 5000 से 10000 रुपये तक वसूलती है. बताया कि वाराणसी और रांची से आने वाली लड़कियों को हाई प्रोफाइल जगहों पर भेजा जाता है, जिसके एवज में मोटी रकम वसूली जाती है. जिसमें 10 से 25 प्रतिशत हिस्सा दलाल अपने पास रख लेते हैं.
इस मुद्दे पर काम कर रही `फर्ज` संस्था के प्रोग्राम मैनेजर आलोक कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 900 से अधिक महिला सेक्स वर्कर रजिस्टर्ड हैं. इन्हें समय-समय पर एचआईवी जांच, जागरूकता और काउंसलिंग दी जाती है. उन्होंने बताया कि गरीबी और बेरोजगारी के कारण पलायन बढ़ रहा है और यही देह व्यापार की सबसे बड़ी वजह है. यदि प्रशासन चाहे तो JSPLPS जैसे संस्थानों के माध्यम से इन महिलाओं को रोजगार से जोड़कर मुख्यधारा में लाया जा सकता है.
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