Lagatar Desk: शारदीय नवरात्र का आज दूसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ‘ब्रह्म’ का अर्थ तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ आचरण करने वाली है, यानी मां ब्रह्मचारिणी तप के आचरण की प्रतीक मानी जाती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
माता ब्रह्मचारिणी को श्वेत वस्त्र धारण किए एक सौम्य कन्या के रूप में दर्शाया गया है. उनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है. यह रूप शांत, सरल और तुरंत वरदान देने वाला माना जाता है.
पूजन का महत्व
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उनकी कृपा से तप, त्याग, सदाचार और संयम की भावना प्रबल होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि मां की आराधना करने से व्यक्ति जीवनभर ऐश्वर्य और सुख का आनंद प्राप्त करता है.
मां को गुड़हल और कमल का फूल करें अर्पित
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल पसंद है. इन्हीं फूलों की माला मां के चरणों में अर्पित करें. मान्यता यह भी है कि मां को चीनी, मिश्री और पंचामृत बेहद पसंद है तो इसका भोग भी लगाये. ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं.
पूजन विधि
सबसे पहले मां को फूल, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें.
दूध, दही, घृत, शहद और शक्कर से स्नान कराएं.
मां को गुड़हल और कमल के फूल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
भोग में शक्कर, मिश्री, पंचामृत और पिस्ते की मिठाई चढ़ाएं.
हवन के दौरान “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रूं ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का जाप करें.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
शास्त्रों में वर्णन है कि हिमालय की पुत्री सती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उन्होंने तीन हजार वर्षों तक केवल बेल पत्र खाकर जीवन यापन किया. बाद में उन्होंने बेल पत्र भी त्याग दिए, जिससे उन्हें अपर्णा नाम से जाना गया.
वर्षों की कठिन तपस्या से उनका शरीर क्षीण हो गया, लेकिन उनकी अटूट श्रद्धा और संकल्प ने उन्हें सिद्धि दिलाई. यही कारण है कि मां ब्रह्मचारिणी साधकों को कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और शक्ति प्रदान करती हैं.
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