Ranchi : किसी डॉक्टर ने मेरे पिता को हाथ तक नहीं लगाया. सिर्फ इधर से उधर मुझे दौड़ाते रहे. अपने पिता के मौत के बाद गमगीन पुत्र राजीव ने कहा कि सुबह 8 बजे अपने पिता के इलाज की उम्मीद लेकर सदर अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन यहां डॉक्टर ने मरीज को हाथ तक नहीं लगाया. वहीं मृतक की पत्नी शैल शर्मा ने कहा कि पति को खांसी और सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिसके बाद आनन फानन में सुरेंद्र शर्मा को इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर आए थे. लेकिन उम्मीद नहीं था कि अपने पैरों पर चलकर आने वाली मेरे पति का लाश मुझे यहां से लेकर जाना पड़ेगा.
2 घंटे तक डॉक्टर से देख लेने की लगाते रहे गुहार
रोते हुए मृतक की पत्नी शैल शर्मा ने कहा कि सदर अस्पताल में अपने पति की जान बचाने की उम्मीद लेकर आए थे. लेकिन यहां की व्यवस्था ने मेरी पति की जान ही ले ली. डॉक्टरों से आरजू मिन्नत करते रहे, लेकिन किसी ने मेरे पति को हाथ तक नहीं लगाया. जब उनकी मौत हो गई तो यहां के कर्मचारी कहने लगे कि आप इन्हें यहां से लेकर चले जाइए.
हटिया तुपुदाना के रहने वाले थे सुरेंद्र शर्मा
मृतक सुरेंद्र शर्मा हटिया के तुपुदाना के रहने वाले थे. अपने घर के पास ही एक छोटे से जेनरल स्टोर चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. परिजन ने कहा कि खुद से स्ट्रेचर का इंतजाम कर उन्हें अस्पताल के अंदर ले गए हैं. और मौत होने के बाद चौथे तल्ले से खुद ही स्ट्रेचर को धकेल कर बाहर तक लाये है.
स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के वक्त के भी सदर अस्पताल के दहलीज पर एक मरीज ने तोड़ दिया था दम
इससे पूर्व भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के सदर अस्पताल के दौरे के दौरान अस्पताल के दहलीज पर हजारीबाग के पावन गुप्ता की मौत हो गई थी. ठीक उसी दहलीज पर एक बार फिर हटिया के तुपुदाना के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा की भी मौत हो गई.