Giridih : एक ओर जहां केंद्र व राज्य सरकार हर घर नल जल योजना के तहत सभी लोगों को शुद्ध जलापूर्ति मुहैया कराने के लिए कई योजना चला रही है. और इसको लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी की जाती हैं इसके बाद भी तिसरी प्रखंड में इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है. इस प्रखंड के कई आदिवासी गावों के लोग आज भी नदी और नाला का गंदा पानी को लोग विवश है.
नाला में चुआं खोदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
जिले के तिसरी प्रखंड के तिसरी पंचायत के जमुनियाटांड के आदिवासी टोला में पेयजल की घोर किल्लत है. यहां के लोग घर से तकरीबन एक किमी दूर नदी और नाला में चुवां खोदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. आदिवासी टोला में पेयजल के लिए अब-तक महज दो कुंआ है और एक चापाकल की व्यवस्था की गई है. जिसमें से एक कुंआ सुख चुका है और चापाकल बेकार पड़ा हुआ है. एक कुंआ गर्मी के दश्तक के बाद सुख जाता हैं.
तिसरी प्रखंड बाबूलाल मरांडी का गृह प्रखंड है
जिस कारण ग्रामीण नदी और नाला का दूषित पानी पीने को विवश है. तिसरी प्रखंड पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी का गृह प्रखंड और विधानसभा क्षेत्र भी है. इस उमस भरी गर्मी में भी लोगों को पीने के पानी के लिए एक से डेढ़ किलोमीटर दूर जाना पड़ता हैं. नदी तक जाने का रास्ता भी पूरा खराब है.
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जनप्रतिनिधि को ग्रामीणों ने की शिकायत
जामुनियाटांड के आदिवासी टोला निवासी मानसी मरांडी ने बताया कि पेयजल की समस्या के निदान को लेकर वे कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास भी गए हैं. लेकिन अब-तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है. उन्होंने जल्द ही उक्त टोला में डीप बोरिंग कराकर शुद्ध जलापूर्ति बहाल कराने की मांग की है. विजय मरांडी ने बताया कि गांव में पेयजल की समस्या काफी गंभीर हो गई है. ग्रामीणों ने मुखिया और बीडीओ से भी पेयजल की समस्या के समाधान की मांग की है, लेकिन अब-तक कोई पहल नहीं हो सका है. लोग आज भी नदी और नाला का दूषित पानी पीने को विवश हैं .
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