Search

‘शुभम संदेश’ पड़ताल : बच्चे कर रहे इंतजार, परियोजना में धूल फांक रहीं किताबें

सत्र शुरू हुए माह भर बीत गए, स्कूलों तक नहीं पहुंचाई गईं पुस्तकें पुरानी पुस्तकों के भरोसे चल रही बच्चों की पढ़ाई एक सप्ताह में बंट जाएंगी सभी पुस्तकें : डीईओ Pramod Upadhyay Hazaribagh: जिले में 9वीं-10वीं कक्षा के बच्चे नई पुस्तकों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी और झारखंड शिक्षा परियोजना में पुस्तकें बंडल में बंद धूल फांक रही हैं. शैक्षणिक सत्र 2023-24 को शुरु हुए करीब एक माह होने को हैं, लेकिन किताबों को स्कूलों तक नहीं पहुंचाया गया है. इसे विभागीय लापरवाही कहें या उदासीनता. कहीं पेन ड्राइव, तो कहीं पुरानी पुस्तकों के भरोसे नौनिहालों की पढ़ाई चल रही है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन नौनिहालों ने नई पुस्तकों के पन्ने तक नहीं पलट सके हैं. अभिभावक भी सवाल उठाते हैं कि आखिर परियोजना कार्यालय में पुस्तकों को रखने का क्या औचित्य है? स्टेट से अगर पुस्तकें भेज दी गई हैं, तो उसे जल्द से जल्द स्कूलों में बच्चों तक वितरण करा देना चाहिए. नई कक्षा में जाने के बाद नौनिहालों में नई पुस्तकें देखने की ललक होती है और इससे उनका उत्साह भी बढ़ता है. साथ ही नई पुस्तकों संग पढ़ाई में उनकी अभिरूचि भी जगती है. लेकिन, पुस्तकें आने के बाद भी अब तक नौनिहालों तक नहीं पहुंच सकी हैं. इसे भी पढ़ें :ई-कॉमर्स">https://lagatar.in/government-should-take-strict-action-against-the-arbitrariness-of-e-commerce-kishor-mantri/">ई-कॉमर्स

की मनमानी पर सरकार कड़ा कदम उठाये : किशोर मंत्री

122 स्कूलों में 34 हजार बच्चे पुस्तक से वंचित

जिले के 122 हाई स्कूलों में करीब 34 हजार बच्चे नामांकित हैं. ये सभी बच्चे 9वीं और 10वीं कक्षा के हैं. नई पुस्तकों के नहीं मिलने से सर्वाधिक 10वीं कक्षा के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. अगले साल उनकी बोर्ड की परीक्षा होने वाली है. उनका एक-एक मिनट कीमती है.

सिर्फ कॉपी लेकर आते हैं स्कूल : रेखा

छड़वा हाई स्कूल की 9वीं की छात्रा रेखा कुमारी कहती हैं कि अब तक नई किताब नहीं मिली है. जैसे-तैसे कुछ पुरानी पुस्तकें जुगाड़ की है. कॉपी लेकर स्कूल आते हैं. नई किताब मिल जाती, तो परीक्षा की तैयारी अभी से ही करना शुरू कर देती. इसे भी पढ़ें :“देश">https://lagatar.in/marwari-society-is-the-backbone-of-the-countrys-economic-sectors/">“देश

की आर्थिक क्षेत्रों में रीड की हड्डी है मारवाड़ी समाज”

सब्जी बेचकर पड़ोसी से ली किताब : शनि

छड़वा हाई स्कूल के 10वीं के छात्र शनि का कहना है कि सब्जी बेच कर पड़ोसी से किताब खरीदी है. जल्द नई किताब मिल जाती, तो बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर पाता. पुरानी किताबों में कई पन्ने फटे-पुराने हैं. इससे उसे परेशानी हो रही है.

क्या कहते हैं डीईओ उपेंद्र नारायण

इस बाबत डीईओ उपेंद्र नारायण ने कहा कि एक सप्ताह में सभी स्कूलों में किताबें पहुंच जाएगी. नौवीं-दसवीं की पुस्तकें आ चुकी हैं. जल्द उसे विद्यार्थियों तक पहुंचा दिया जाएगा. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp