पदाधिकारियों तक पहुंच-पैरवी की दिखाई जा रही धमक, मंत्री तक को बताए जा रहे सगे-संबंधी
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : नगर निगम हजारीबाग से अग्निशमन यंत्र लगाने का निर्देश मिलने के बाद नर्सिंग होम के संचालकों में येन-केण-प्रकारेण उपकरण लगवाने की होड़ मची हुई है. एजेंट नर्सिंग होमों का मैप बना रहे हैं, तो गुमटी से लाइसेंस दिलाने का खेल चल रहा है. प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थानों में अग्निशमन यंत्र लगाने और एनओसी पाने का अलग ही गोरखधंधा चल रहा है.
इस आपाधापी में एजेंटों की बाढ़ भी आ गई है. यही एजेंटों ने अग्निशमन विभाग से एनओसी दिलाने का ठेका ले रखा है और नर्सिंग होमों का बेड़ा पार लगाने का दावा भी ठोंका जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एनओसी के लिए नर्सिंग होम का मैप अनिवार्य किया गया है. ऐसे में एजेंट मनमाफिक रकम लेकर बैठे-बिठाए नर्सिंग होम का मैप संचालक को तैयार करवा कर सौंप रहे हैं. यही एजेंट नर्सिंग होम में अग्निशमन यंत्र के एनओसी के लिए ऑनलाइन आवेदन भी करते हैं. ऐसे में जब विभाग से कुछ सूचना आती है, तो एजेंट को ही पता रहता है, नर्सिंग होम के संचालकों को नहीं. चूंकि पासवर्ड भी एजेंट के पास ही है. यही वजह है कि संचालकों को एनओसी मिलने या नहीं मिलने की सूचना तक नहीं रहती. इन्हीं प्रक्रिया के बीच एजेंट नर्सिंग होम में अग्निशमन यंत्र और सिस्टम भी उपलब्ध करा देते हैं और इस एवज में खासा कमीशन भी वसूलते हैं. एजेंट पदाधिकारियों तक अपनी पहुंच-पैरवी की धमक दिखाते हैं. यहां तक कि मंत्री तक को सगे-संबंधी बता रहे हैं.
ग्राहक बनकर गुमटी पहुंचे अग्निशमन पदाधिकारी, एजेंट ने मांगे 5000 रुपए, बताई अपनी पहुंच
जिला अग्निशमन पदाधिकारी राम एस सिंह ने बताया कि जब उन्हें अग्निशमन यंत्र लगाने और लाइसेंस बनवाने के बारे में शिकायत मिली, तो खुद नर्सिंग होम के संचालक बनकर नवाबगंज लक्ष्मी पेट्रोल पंप के पास बनी गुमटी में पहुंचे. वहां एजेंट ने कहा कि नर्सिंग होम के मैप बन जाएंगे और अग्निशमन विभाग से एनओसी भी मिल जाएगा. उनकी पहुंच पदाधिकारियों से लेकर विधायक-मंत्री तक है. वह फिक्र नहीं करें, बस इसके लिए 5000 रुपए खर्च करने होंगे.
कहां-कहां से आते हैं एजेंट, ऐसे फंसते हैं जाल में
जिला अग्निशमन पदाधिकारी राम एस सिंह ने बताया कि रामगढ़, रांची, कोडरमा, चतरा और हजारीबाग के एजेंट यहां आते हैं और ऑनलाइन आवेदन करने के नाम पर नर्सिंग होम के संचालकों को जाल में फंसाते हैं. फिर अपने ही माध्यम से टू-जी, थ्री-जी और फोर-जी के आधार पर सिस्टम लगाने के लिए 60 से 80 हजार रुपए तक सौदेबाजी होती है. नर्सिंग होम से कागज लेकर जाली मैप बना ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन आवेदन करने आते हैं. काम नहीं होने पर अफवाह उड़ाते हैं कि विभाग में पैसे की मांग की जाती है. ऐसी कोई बात नहीं है. रांची हेडक्वार्टर से एनओसी दिया जाता है. हजारीबाग ऑफिस सिर्फ माध्यम है. यहां साफ तौर पर नोटिस बोर्ड भी लगाया गया है. उसमें लिखा है कि अगर नर्सिंग होम का मैप सही है, तो तुरंत जांच होगी.
सदर अस्पताल और आरोग्यम को भी एनओसी की प्रतीक्षा
सदर अस्पताल हजारीबाग और आरोग्यम सुपरस्पेशिलियटी अस्पताल में अग्निशमन यंत्र और एनओसी के रिन्यूअल के लिए जब आवेदन आए, तो अग्निशमन विभाग की ओर से तुरंत जांच की गई. जांच के दौरान जो भी कमियां पायी गईं, उन्हें पूरा करने के लिए कहा गया. यह जानकारी देते हुए अग्निशमन विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि जांच टीम ने जो रिपोर्ट सौंपी, उसके आधार पर फिलहाल दोनों अस्पतालों को एनओसी नहीं दिया गया है. उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल का तो मैप ही नहीं है. उसे फिर से आवेदन ऑनलाइन करना होगा.