‘परेशान ग्रामीणों ने बयां की अपनी पीड़ा, कहा-घंटों करते हैं इंतजार, फिर भी नहीं होता है काम
वक्त भी होता है बर्बाद, आने-जाने में भी हो जाता है खर्च, हाल प्रखंड सह अंचल कार्यालय इचाक का
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग का इचाक प्रखंड सह अंचल कार्यालय के खुलने का कोई वक्त निर्धारित नहीं है. यहां आराम से सभी काम होते हैं. यह अलग विषय है कि जो जरूरतमंद हैं, वह कार्यालय खुलने के कुछ देर पहले से ही वहां पहुंच जाते हैं. इचाक प्रखंड 19 पंचायतों के ग्रामीणों का यहां आना-जाना रहता है. उनका कहना है कि न तो समय पर यहां कार्यालय खुलता है और न पदाधिकारी और कर्मचारी आते हैं. ऐसे में एक तो काम के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और काम भी नहीं हो पाता है. आने-जाने का किराया भी जाया चला जाता है. मंगलवार को ‘शुभम संदेश’ ने पड़ताल किया, तो पाया कि पूर्वाह्न 11:16 बजे प्रखंड सह अंचल कार्यालय में झाड़ू-पोछा का कार्य शुरू हुआ था. कई ग्रामीण प्रखंड कार्यालय के बाहर कार्यालय खुलने का इंतजार कर रहे थे. कुछ रोजगार सेवक बाहर ही अपनी बाइक पर बैठकर अपना काम करते देखे गए. बीडीओ, सीओ समेत कई कर्मचारी उस वक्त तक कार्यालय में मौजूद नहीं थे.
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समय पर कुछ नहीं हो पाता : महेंद्र प्रसाद
वहां आए डाढ़ा पंचायत स्थित मडप्पा निवासी महेंद्र प्रसाद मेहता ने कहा कि पिछले तीन माह से लगातार प्रखंड कार्यालय आ रहे हैं. लेकिन पदाधिकारी से मुलाकात नहीं हो पाती है और फिर निराश वापस हो जाते हैं. आने-जाने और खाने में करीब 150 रुपए खर्च हो जाता है. लेकिन इससे प्रखंडकर्मियों को क्या मतलब है. इसलिए मनरेगा का काम करने में परेशानी हो रही है. साथ ही नुकसान उठाना पड़ता है और यही वजह है कि समय पर काम भी पूरा नहीं हो पाता है.
रोजगार छोड़कर आते हैं प्रखंड कार्यालय : गिरधारी प्रसाद
वहां आए देवकुली निवासी गिरधारी प्रसाद ने बताया कि प्रखंड कार्यालय का रवैया कुछ ठीक नहीं. सरकार का वेतन लेते हैं, तो वक्त पर कार्यालय पहुंचा भी करें. जरूरतमंदों का काम भी पूरा करें. लेकिन कर्मी काम करना नहीं चाहते हैं. ऑफिस का समय 10:00 बजे होता है, लेकिन 11:30 बजे तक भी कार्यालय में साफ सफाई चलती रहती है और अधिकारी ठाठ से 12:00 बजे तक कार्यालय आते हैं. उन लोगों की वजह से हम लोगों का काम पूरा नहीं हो पा रहा है. अब तक एक माह में 12 बार प्रखंड कार्यालय आए हैं, लेकिन संबंधित कर्मी और अधिकारी से मुलाकात नहीं हो पा रही.
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अधिकारी रहते नहीं, मायूस होकर लौट जाते हैं : राजेंद्र प्रसाद
कुरहा निवासी राजेंद्र प्रसाद मेहता ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत उन्होंने काम लिया. इसके लिए लगातार कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. कभी बीडीओ, तो कभी सीओ से मुलाकात नहीं हो पाती है. रोज 100 रुपए पेट्रोल में खर्च कर रहे हैं. शाम में मायूस होकर लौट जाते हैं. क्या इन साहेबों को देखनेवाला कोईवरीय पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि नहीं हैं. आम आदमी का काम कैसे होगा.
कई लोग आवास पर पहुंच जाते हैं : सीओ
पूछे जाने पर इचाक के सीओ मनोज महथा ने कहा कि वह पास में ही रहते हैं. कई लोग उनके आवास पर पहुंच जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऑफिस आवर दिन के 10 बजे से ही है. लेकिन आवास पर आए लोगों के काम निबटाने या बात करने में कभी-कभी ऑफिस जाने में विलंब हो जाता है. वैसे सभी कर्मियों को समय पर ऑफिस आना चाहिए.