- छात्रों की भरमार, कॉलेजों और प्सल टू स्कूलों में सीटों की दरकार, एडमिशन पर बड़ा सवाल
- इंटर कॉलेजों में सीटों की कमी, मैट्रिक पास छात्रों की संख्या 3.78 लाख
- इंटर में 2,06,685 विद्यार्थी पास हुए, सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड से 10वीं और 12वीं में 80 हजार छात्र हुये हैं सफल
- इंजीनियरिंग के लिए राज्य से हर साल छह हजार छात्रों का होता है पलायन
Ranchi : झारखंड में इस साल जैक बोर्ड और सीबीएसई से लगभग 6,65, 083 विद्यार्थियों ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की है. जैक बोर्ड द्वारा ली गई मैट्रिक की परीक्षा में इस साल 3,78,398 विद्यार्थी सफल रहे हैं. वहीं इंटर की परीक्षा में 2,06,685 विद्यार्थी सफल रहे. वहीं सीबीएसई और आइसीएसइ बोर्ड से लगभग 80 हजार विद्यार्थी 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सफल हुये हैं. इतने विद्यार्थियों के लिए राज्य के प्लस टू स्कूलों और कॉलेजों में सीट नहीं है.
किसी भी विवि को नहीं मिला सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा
राज्य के पहले से स्थापित पांचों विश्वविद्यालय में से किसी भी यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं मिल पाया है. राज्य गठन के बाद कितनी सरकारें आयीं और गयीं, लेकिन किसी ने भी उच्च शिक्षा को प्राथमिकता की सूची में नहीं रखा. हर बार घोषणा की गयी, प्रस्ताव तैयार किया गया. लेकिन सब ठंडे बस्ते में चले गये. शिक्षा के स्तर में गिरावट का यह भी प्रमुख कारण रहा.
हर साल 6 हजार छात्रों का पलायन
झारखंड में बेहतर इंजीनियरिंग कॉलेजों के नहीं होने से यहां की प्रतिभाएं कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रही है. छह हजार से अधिक छात्र प्रत्येक वर्ष इन राज्यों में सिर्फ इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में दाखिला ले रहे हैं. सबसे अधिक यानी दो से ढ़ाई हजार बच्चे कर्नाटक के 180 कॉलेजों में दाखिला लेते हैं. एक हजार से अधिक बच्चे ओडिशा, 700 से 800 के आसपास पश्चिम बंगाल, 500 से अधिक पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और यूपी में बच्चे एडमिशन ले रहे हैं.
बेहतर इंजीनियरिंग कॉलेज भी नहीं
प्रतिभा का पलायन यहां बेहतर इंजीनियरिंग कॉलेज और आधारभूत संरचना का नहीं होना है. झारखंड में 4 सरकारी और 14 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां 7400 से अधिक सीटें है. इनमें बीआईटी सिंदरी को छोड़ अन्य कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती है. कहने को राजकीय अभियंत्रण कॉलेज दुमका, चाईबासा और रामगढ़ में सरकारी कॉलेज हैं, जो पीपीपी मोड पर चल रही है. पर यहां पर पेड सीट भी जैसे-तैसे भरे जाते हैं. झारखंड से प्रतिभाओं के पलायन की वजह से सरकार को 500 करोड़ का नुकसान हो रहा है. अमूमन दूसरे राज्यों के कॉलेजों में 3.50 लाख रुपये से लेकर 4 लाख रुपये का एडमिशन खर्च अभिभावकों पर पड़ रहा है.
दूसरे राज्य के संस्थानों पर कितना खर्च
कर्नाटक में आरवीएस, बीएनएम, ओडिशा में किट, सिलिकोन, आइटीइआर, सीवी रमन, कोलकाता में जाधवपुर, टेक्नो इंडिया, वेस्ट बंगाल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अन्य प्रमुख संस्थान है, जिसकी स्टूडेंट्स में काफी चर्चा रहती है. इसके अलावा वीआइटी वेल्लोर, एसआरएम, शारदा यूनिवर्सिटी, एमआइटी पुणे, मनिपाल यूनिवर्सिटी जैसे बड़े संस्थानों की ओर भी छात्र रूख कर रहे हैं. इनका सालाना शुल्क 5 से 7 लाख रुपये है. इस तरह 4 वर्ष के कोर्स के लिए झारखंड के एक अभिभावकों पर 12 लाख रुपये से लेकर 28 लाख रुपये तक का बोझ पड़ रहा है.
होते रहे हैं प्रयोग पर प्रयोग
उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए, राज्य में प्रयोग पर प्रयोग होते रहे हैं. हायर सेकेंडरी व्यवस्था, सेमेस्टर सिस्टम और इंटर की अलग से पढ़ाई की बात सामने आई. लेकिन कोई भी व्यवस्था टिक नहीं सकी. सेमेस्टर सिस्टम में लेटलतीफी अबतक है. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, संबद्ध और अनुशंसित कॉलेज में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस में क्रमश: 67840, 54784 और 54784 सीटें है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश कॉलेज एक या दो कमरे में चलते हैं. न तो ढंग के शिक्षक हैं और ना ही पढ़ाई के साधन.
इंटर कॉलेजों में एडमिशन के लिए जैक ने कम कर दी है सीटें
झारखंड के इंटर कॉलेजों में एडमिशन के लिए जैक ने सीटें कम कर दी है. स्थापना अनुमति प्राप्त कॉलेजों में प्रत्येक संकाय में 128, स्थायी प्रस्वीकृति प्राप्त इंटर कॉलेजों में हर संकाय में 384, डिग्री संबद्ध कॉलेजों के हर संकाय में 256, जबकि अंगीभूत कॉलेजों के प्रत्येक संकाय में कुल 384 सीटें तय की गयी है. साथ ही स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी कॉलेज ने तय सीट से अधिक पर विद्यार्थियों का दाखिला लिया, तो झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) उनका पंजीयन नहीं करेगा. राज्य में 110 अंगीभूत व संबद्ध डिग्री कॉलेज हैं. इसमें 65 अंगीभूत, जबकि 45 संबद्ध डिग्री कॉलेज हैं. इसमें पूर्वी सिंहभूम में 42 शैक्षणिक संस्थान हैं, जहां इंटर की पढ़ाई होती है. इसमें 29 प्लस टू स्कूल हैं. वहीं, 13 स्थापना अनुमति कॉलेज हैं.
कॉलेजों में भी सीटों की है कमी
झारखंड के सरकारी कॉलेजों में भी सीटों की कमी है. राज्य गठन के बाद से कई सरकारें आई और गईं, लेकिन इस मसले का समाधान नहीं हो पाया. अब तक इंटर कॉलेज विकल्प के तौर पर स्थापित नहीं हो पाये. दो पालियों में पढ़ाई शुरू नहीं हुई. पिछड़े क्षेत्रों में दो से तीन कॉलेज खोलने की घोषणा धरी की धरी रह गयी. हर जिला में महिला कॉलेज नहीं खुला.
कॉलेज में सीटों की स्थिति
विश्वविद्यालय कितने कॉलेज कितनी सीटें
- सिद्धो-कान्हो 12 21810
- विनोबा भावे 18 33330
- रांची विवि 15 29823
- नीलांबर-पीतांबर 04 7475
- कोल्हान 14 17765
कुल संबद्ध कॉलेज 18 हैं, इसमें 32100 सीटें है.
इंटर में सीटों की स्थिति
- आर्ट्स- 67,840
- कॉमर्स- 54,784
- साइंस- 54784
किस यूनिवर्सिटी में कितने टीचर की है कमी
- रांची विश्वविद्यालय- 268
- विनोबा भावे विश्वविद्यालय – 155
- सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय -190
- नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय -107
- कोल्हान विश्वविद्यालय – 364
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय – 75 पद
- यूनिवर्सिटी में पांच लाख छात्रों के लिए है सिर्फ 2493 टीचर
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