Ranchi : राज्य में डायन प्रथा के उन्मूलन के लिए ग्रामीण विकास विभाग के स्तर से पहल जारी है. अब जेंडर मंच के जरिए भी इसके निदान की कोशिश होगी. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा डायन कुप्रथा मुक्त झारखंड के निर्माण के लिए आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन बुधवार को तकनीकी सेशन में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन ने इसकी जानकारी दी. कहा कि गरिमा परियोजना के जरिये झारखंड को डायन कुप्रथा से मुक्त बनाने का प्रयास जारी है.
जेंडर मंच भी बनाया जायेगा
इस परियोजना के तहत वल्नरेबिलिटी मैपिंग एवं ग्राम संगठन के प्रशिक्षण के जरिए डायन कुप्रथा उन्मूलन को गति दिया जाना है. जेंडर मंच भी बनाया जायेगा, ताकि डायन कुप्रथा जैसे अंधविश्वास एवं भेदभाव को दूर करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा सके.
पीड़ितों के लिए सुरक्षा व काउंसेलिंग की भी व्यवस्था
सखी मंडल की बहनों द्वारा नुक्कड़ नाटक के जरिए भी प्रभावित गांवों में जागरुकता अभियान चलाया जायेगा. डायन कुप्रथा पीड़ितों को सुरक्षा व काउंसेलिंग की व्यवस्था भी गरिमा परियोजना के जरिए की जायेगी. पीडित महिलाओं के पुनर्वास पर भी काम होना है. उन्हें सशक्त आजीविका से भी जोड़ा जायेगा. सचिव ने उम्मीद जतायी कि कार्यशाला में मिले सुझावों पर रणनीति तैयार कर डायन कुप्रथा मुक्त पंचायत का निर्माण किया जायेगा. कार्यशाला की अध्यक्षता शिक्षाविद् डॉ सुनीता रॉय ने की. झालसा के संतोष कुमार, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ के वाइस चांसलर डॉ. केशव राव, सीआईपी के निदेशक डॉ. बासुदेब प्रसाद, जेएसएलपीएस की सीइओ नैन्सी सहाय सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी बात रखी.
डायन कुप्रथा का उन्मूलन संभव : डॉ सुनीता रॉय
शिक्षाविद् व यूजीसी वूमेंस सेंटर की प्रमुख डॉ सुनीता रॉय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को शिक्षित करने से ही डायन कुप्रथा का उन्मूलन संभव है. महिलाओं से समाज में होनेवाले भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है. डॉ सुनीता रॉय ने अपील की कि डायन प्रथा की पीडित महिलाओं को प्रशिक्षित कर सशक्त आजीविका से जोड़ने की जरूरत है. बच्चों को सामाजिक दायित्वों पर प्रशिक्षित कर सामाजिक माहौल बनाने की जरूरत है. कल के सुंदर विकसित समाज के निर्माण के लिए डायन कुप्रथा का उन्मूलन जरूरी है. उन्होंने समाज में लैंगिंक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य करने की जरूरत पर बल दिया. ग्रामीण इलाके से ओझा गुणी प्रथा को खत्म करने के लिए शिक्षा का अलख जगाने की जरूरत एवं ग्रामीण इलाकों में जागरुकता पर कार्य करना चाहिए.
पीड़ितों को कानूनी मदद कर रहा झालसा
तकनीकी सेशन में झालसा के संतोष कुमार ने बताया कि झालसा राज्य में डायन कुप्रथा पीड़ितों को कानूनी मदद करने के लिए लगातार प्रयासरत है. उन्होंने बताया कि डायन कुप्रथा एक सामाजिक कानूनी समस्या है, जिसको हम सबको मिलकर खत्म करना है. झालसा, जेएसएलपीएस एवं अन्य सरकारी विभाग मिलकर इस कुप्रथा को खत्म कर सकते हैं. हमें हर किसी के मौलिक मुलभूत अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है. संतोष कुमार ने बताया कि हमें वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की जरूरत है. वहीं झालसा द्वारा स्कूलों में लीगल साक्षरता क्लब का गठन किया जा रहा है, जो डायन कुप्रथा उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.
सीआईपी करेगा सहयोग : डॉ बासुदेव प्रसाद
सीआईपी के निदेशक डॉ बासुदेव प्रसाद ने कहा कि गरिमा परियोजना के अंतर्गत सीआईपी मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोचिकित्सिय सहयोग के लिए कार्य करेगा. मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता के लिए भी जेएसएलपीएस के साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है. पीड़ित महिलाओं को एक नया जीवन देने में मानसिक स्वास्थ्य की पहल की जायेगी. उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य काउंसेलिंग के लिए साआईपी के 15 हेल्पलाइन नंबर दिन-रात कार्य़ कर रहे हैं.
भेदभाव रहित समाज के निर्माण की जरूरत : डॉ गोविंद केलकर
डॉ गोविंद केलकर ने डायन कुप्रथा के अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्ष्य को सामने रखा. अफ्रीका, यूरोप घाना समेत कई देशों का जिक्र करते हुए डॉ केलकर ने डायन कुप्रथा के कारण, निदान एवं उन्मूलन पर अपनी बातें रखी. उन्होंने भेदभाव रहित समाज की जरूरत पर बल दिया एवं शिक्षा एवं व्यापक स्वास्थ्य व्यवस्था पर कार्य करने की बात की. कार्यशाला के समापन समारोह में सीईओ जेएसएलपीएस नैंसी सहाय ने कहा कि यह कार्यशाला गरिमा परियोजना के क्रियान्वयन एवं राज्य से डायन कुप्रथा के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी.
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