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सूरते हाल : आखिर न्याय के लिए जाएं तो जाएं कहां झारखंड के गरीब आदिवासी

झारखंड के आदिवासियों को अपनी ही जमीन पर नहीं मिल पा रहा कब्जा Basant Munda Ranchi : आदिवासियों को अपनी ही जमीन पर कब्जा (दखल-दिहानी) नहीं मिल पा रहा है, वह भी राजधानी रांची में. आदिवासी अपनी ही जमीन पर कब्जा दिलाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक जमीन विवाद सुलझाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अधिकारी भी जमीन विवाद सुलझाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे. गरीब किसान अपनी ही जमीन पर कब्जे के लिए कोर्ट-कचहरी, थाना से लेकर सीओ ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं. जमीन पर धारा 144 और 107 लगा दी जा रही है. नतीजन मामला लंबा खींचा रहा है. सीएम चंपाई सोरेन ने पिछले दिनों विधि व्यवस्था की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अनुसूचित जनजाति की जमीन से जुड़े विवादों और लंबित मामलों के निष्पादन में न सिर्फ तेजी लाएं, बल्कि आदिवासियों को उनकी जमीन पर दखल दिलाने की कार्रवाई जल्द से जल्द करें. उन्होंने कहा था कि आदिवासियों को उनकी जमीन पर जल्द से जल्द कैसे कब्जा मिले, यह हर हाल में अधिकारी सुनिश्चित करें. इसके बावजूद आदिवासी अपनी जमीन पर लंबित वादों के निबटारे के लिए भटक रहे हैं.

केस 1 :

पुरानी रांची में 18 साल से आदिवासी जमीन को लेकर विवाद हो रहा है. मामला 2 एकड़ 89 डिसमिल जमीन का है, जिसे आदिवासी समाज सरना, दोन व डाली कतारी की जमीन बता रहे हैं. धुमकड़िया आदिवासी कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुल कुमार केरकेट्टा ने बताया कि यह जमीन आदिवासियों की धार्मिक जमीन है और इससे उनकी आस्था जुड़ी है. कई बार इस जमीन को लेकर विवाद भी हो चुका है. इस जमीन को बचाने के लिए वर्ष 2015 में मानव शृंखला बनाकर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया था. जमीन विवाद खत्म करने के लिए थाना और डीसी ऑफिस में भी आवेदन दे चुके हैं. इसके बाद भी यह मामला अब तक नहीं सुलझ पाया है.

केस 2 :

लोअर करमटोली में 2 एकड़ 22 डीसमिल का मामला लंबित है. इस जमीन को लेकर पिछले 60 वर्षों से विवाद चल रहा है. हलधर चंदन पाहन ने बताया कि खतियान में बकास्त भूईहरी पहनई मुंडई के नाम से जमीन है. इस जमीन को लेकर 17-18 बार मारपीट भी हो चुका है. अधिकारियों ने इस जमीन को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने की दिशा में कभी पहल ही नहीं की. मामले को लेकर सिविल कोर्ट में टाईटल सूट चल रहा है.

केस 3 :

मौजा रातू प्रखंड के झखराटांड़ की जमीन को लेकर भी पिछले 20 वर्षो से विवाद चल रहा है. खाता संख्या 426, प्लॉट 2647- 5 डी , 2648 में 1.08 डिसमिल जमीन है. जमीन मालिक भदवा मुंडा ने सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जमीन विवाद सुलझाने की गुहार लगायी थी. रातू थाना, अंचल, उपायुक्त कार्यालय तक का दरवाजा खटखटाया. अपनी ही जमीन का मालिकाना हक पाने की आस में जमीन मालिक भी गुजर गये. लेकिन यह विवाद नहीं सुलझा. मृतक के भाई रंथु मुंडा ने बताया कि यह जमीन बिहार सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत 1976 में बंदोबस्ती से प्राप्त हुई है, जिसका हर साल मालगुजारी भी देते हैं. जब भी खेत पर जोत-कोड़ करने के लिए जाते हैं, तो दूसरे पक्ष के लोग हरवे हथियार लेकर पहुंच जाते हैं. ये महिलाएं थाना के लिए काम करती है, पुलिस को बुला लेती हैं. [wpse_comments_template]

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