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अडानी को दे दिये गये छह हवाई अड्डे , नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की आपत्तियों को दर किनार किया गया

Lagatar Desk : वर्ष 2019 में सरकार द्वारा हवाई अड्डों के संचालन के लिए बोली मंगाने की प्रक्रिया पर केंद्रीय">https://www.finmin.nic.in/hi">केंद्रीय

वित्त मंत्रालय और नीति">https://niti.gov.in/hi">नीति

अयोग दोनों ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. लेकिन इन आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया और इस तरह अडानी समूह द्वारा देश के छह प्रमुख हवाई अड्डों का नियंत्रण हासिल करने का रास्ता साफ हो गया. अंग्रेजी दैनिक इंडियन">https://indianexpress.com/">इंडियन

एक्सप्रेस ने यह खबर दी है. अखबार के अनुसार, इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अडानी">https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B9">अडानी

समूह ने पिछले साल 31 अगस्त को देश के दूसरे सबसे बड़े हवाई अड्डे,  मुंबई एयरपोर्ट का नियंत्रण हासिल करने के लिए एक और समझौते पर हस्ताक्षर किये. भारतीय">https://www.aai.aero/hi">भारतीय

विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने 12 जनवरी, 2021 को इस अधिग्रहण को अपनी मंजूरी दे दी. इसे भी पढ़ें:बेरमो">https://lagatar.in/bermo-illegal-bungalow-on-the-banks-of-rivers-bulldozer-on-brick-kiln/18255/">बेरमो

: नदियों के किनारे अवैध बंगला ईंट भट्ठे पर चला बुलडोजर https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/01/gautam-adani-2-620x400-1.jpg"

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मात्र 20 महीने में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना अडानी

एविएशन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने बाजार प्रभुत्व की समीक्षा के लिए चिह्नित किया है. नीति आयोग द्वारा लाल झंडी दिखाये जाने से पहले अडानी समूह जो कि मुंबई के मुंद्रा में एक निजी एयर-स्ट्रिप को फाइनेंस कर रहा था, महज 20 महीनों में ही हवाई अड्डों की संख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा और यात्री यातायात के मामले में दूसरा सबसे बड़ा निजी डेवलपर बन गया है. उसके नियंत्रणवाले मुंबई सहित सात हवाई अड्डों - अहमदाबाद, मैंगलोर, लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम ने पिछले वित्तीय वर्ष (2019-20) के दौरान कुल 7.90 करोड़ यात्रियों को संभाला. यह तादाद 34.10 करोड़ घरेलू हवाई यातायात का लगभग एक-चौथाई है. इसके अलावा, मुंद्रा हवाई अड्डा, जहां सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत 2018 में वाणिज्यिक उड़ानें शुरू हुईं, को भी पूर्ण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में परिवर्तित करने की मंजूरी मिल गयी है. जीवीके के साथ सौदे के बाद अडानी की नवी मुंबई में बननेवाले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे पर निर्णायक हिस्सेदारी भी है. इसे भी पढ़ें:लॉकडाउन">https://lagatar.in/gas-price-increased-and-subsidy-decreases-after-lockdown-opens/18231/">लॉकडाउन

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डीइए के नोट में दिये सुझाव दरकिनार किये PPPAC ने

अखबार द्वारा रिकॉर्डों की छानबीन से पता चला कि एनडीए सरकार के अब तक के सबसे बड़े निजीकरण कार्यक्रम, अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित करने से पहले केंद्र की सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (PPPAC) ने 11 दिसंबर, 2018 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की थी. बैठक की मिनट्स ऑफ मीटिंग के अनुसार चर्चा के दौरान आर्थिक मामलों के विभाग (डीइए) ने अपने एक नोट में कहा था, “ये छह हवाई अड्डा परियोजनाएं अत्यधिक पूंजी-गहन परियोजनाएं हैं. इसलिए प्रस्ताव में इस शर्त को शामिल करने का सुझाव दिया जाता है कि एक बोलीकर्ता को दो से अधिक हवाई अड्डे नहीं दिये जायेंगे. क्योंकि इसमें उच्च वित्तीय जोखिम के साथ गुणवत्ता संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं. हवाई अड्डों को विभिन्न कंपनियों को दिये जाने से उनमें गुणवत्ता के लिए प्रतिस्पर्द्धा भी होगी.” डीइए का यह नोट, जिस पर 10 दिसंबर, 2018 की तारीख अंकित है, विभाग के पीपीपी सेल के एक निदेशक द्वारा जमा किया गया था. अपने तर्क को पुख्ता करने के लिए, डीइए ने दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों की मिसाल दी, जहां एकमात्र योग्य बोलीदाता होने के बावजूद GMR को दोनों हवाई अड्डे नहीं दिये गये थे. इसके अलावा दिल्ली के बिजली वितरण क्षेत्र में निजीकरण का उदाहरण देते हुए कहा गया, “दिल्ली विद्युत वितरण निजीकरण के मामले में, शहर को तीन क्षेत्रों में बांट कर दो कंपनियों को वितरण का जिम्मा दिया गया था.”  मिनट्स के मुताबिक पीपीपीएसी की बैठक में  डीइए की इस आपत्ति पर कोई चर्चा नहीं हुई. इसे भी पढ़ें:आज">https://lagatar.in/corona-vaccination-will-start-in-india-from-today-pm-modi-will-launch/17995/">आज

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नीति आयोग ने मेमो भेज कर जतायी थी चिंता

उसी दिन डीइए के नोट की तरह नीति आयोग ने भी हवाई अड्डों की बोली को लेकर अलग से चिंता जताई.  आयोग के एक मेमो में कहा गया, “अपर्याप्त तकनीकी क्षमता वाले बोलीदाता परियोजना को खतरे में डाल सकते हैं और उन सेवाओं की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं, जिन्हें देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है”.  इसके जवाब में, तत्कालीन डीइए सचिव एससी गर्ग की अध्यक्षता वाली पीपीपीएसी ने कहा कि सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (EOGS) ने पहले ही तय कर लिया था कि हवाई अड्डों के संचालन के पूर्व अनुभव को न तो बोली लगाने के लिए पूर्वापेक्षित बनाया जा सकता है, न ही इसे बोली के बाद की आवश्यकता वाली शर्त में रखा जा सकता है. ईओजीएस का कहना था कि इससे पहले से संचालित हवाई अड्डों के लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी. विडंबना यह है कि गर्ग वित्त विभाग के अधिकारी हैं, जिसकी समिति ने सबसे पहले इस प्रस्तावों पर आपत्ति दर्ज करायी थी. गर्ग को जुलाई 2019 में वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया था और अब वे आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के सलाहकार हैं. इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इस मुद्दे पर पूछे गये प्रश्नों का जवाब नहीं दिया. इसे भी पढ़ें:जामताड़ा:">https://lagatar.in/jamtara-two-bikes-collide-face-to-face-on-govindpur-sahibganj-highway-three-injured/18251/">जामताड़ा:

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अडानी ने बोली जीतने के बाद रियायत का समझौता किया

छह हवाई अड्डों के लिए बोली जीतने के एक साल बाद, अडानी समूह ने फरवरी 2020 में अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ हवाई अड्डों के संचालन के लिए रियायत लेने संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किये. एक महीने बाद उसने कोविड महामारी के कारण कर्मचारियों की अदला-बदली संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए AAI  से फरवरी 2021 तक तीन हवाई अड्डों का नियंत्रण लेने में असमर्थता जतायी. इसपर AAI ने अडानी समूह को नवंबर 2020 तक तीन हवाई अड्डों को संभालने के लिए कहा. नवंबर 2020 में इन छह हवाई अड्डों में से तीन, अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ को अडानी समूह को सौंप दिया गया. अन्य तीन हवाई अड्डों - जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के लिए AAI और अदानी समूह के बीच सितंबर 2020 में रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. इसे भी पढ़ें:बेरमो:">https://lagatar.in/bermo-unique-competition-takes-place-in-kasmar-winner-gets-year-round-farming-opportunity/18243/">बेरमो:

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कोविड का हवाला देकर संचालन संभालने का समय मांगनेवाला अडानी मुंबई पर अधिकार के लिए दौड़ पड़ा

दिलचस्प है कि कोविड का हवाला देकर AAI से छह हवाई अड्डों के संचालन का जिम्मा लेने के लिए फरवरी 2021 तक का समय मांगनेवाला अडानी समूह अगस्त 2020 में ही GVK से देश के दूसरे सबसे बड़े हवाई अड्डे, मुंबई एयरपोर्ट और नवी मुंबई में आगामी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे पर नियंत्रण का अधिकार हासिल करने चला गया. AAI  द्वारा संचालित छह हवाई अड्डों के लिए बोली प्रक्रिया में अडानी समूह ने बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ कर आगामी 50 वर्षों की अवधि के लिए हवाई अड्डों को संचालित करने का अधिकार हासिल कर लिया. अडानी ने जिन कंपनियों को पछाड़ा, उनमें जीएमआर ग्रुप, ज्यूरिख एयरपोर्ट और कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियां शामिल थीं. यह दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के निजीकरण से अलग था, जहां रियायत की अवधि 30 वर्ष ही थी. इसके अलावा इन दोनों हवाई अड्डों में AAI के पास 26% की हिस्सेदारी भी है. इसे भी पढ़ें:स्वास्थ्य">https://lagatar.in/health-secretary-expressed-regret-over-objectionable-statement-ima-and-jhasa-withdrew-agitation/18240/">स्वास्थ्य

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प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी की मंजूरी देकर राह आसान की

अडानी को हवाई अड्डे सौंपने की सरकार की मंशा नवंबर 2019 में जाहिर हो गयी थी, जब भारत के प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अडानी समूह को दक्षिण अफ्रीका की दो कंपनियों बिडवेस्ट एंड एयरपोर्ट्स कंपनी ऑफ साउथ अफ्रीका (ACSA)  के साथ मुंबई हवाई अड्डे में अल्प हिस्सेदारी के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी. इसे जायज ठहराते हुए प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा कि दोनों पक्षों की एक ही व्यवसाय में मौजूदगी से किसी प्रकार की प्रतिस्पर्द्धा की चिंता पैदा होने की संभावना नहीं थी. आर्थिक मामलों के विभाग की इस चिंता के बावजूद कि इससे एक ही कंपनी की कई प्रमुख ढांचागत परियोजनाओं पर महत्वपूर्ण पकड़ हो जायेगी,  प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अडानी समूह द्वारा मुंबई हवाई अड्डे में अल्प हिस्सेदारी की खरीद को मंजूरी दी. इसे भी पढ़ें:धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-dhullu-mahato-met-the-deputy-commissioner-and-discussed-the-program-to-be-held-in-cheetahidham/18239/">धनबाद:

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विरोध में खड़े GVK मुंबई एयरपोर्ट में हिस्सेदारी अडानी को दी

एक और नाटकीय घटनाक्रम में GVK जीवीके समूह, जिसने अडानी समूह को मुंबई हवाई अड्डे से दूर रखने के लिए अक्टूबर 2019 में भारत के संप्रभु कोष एनआईआईएफ सहित अन्य निवेशकों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, अगस्त 2020 में अडानी के साथ सहयोग के लिए राजी हो गया. 31 अगस्त, 2020 को जीवीके समूह ने मुंबई हवाई अड्डे और नवी मुंबई हवाई अड्डे में अडानी एंटरप्राइजेज को अपनी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. प्रतिस्पर्द्धा आयोग की एक अधिसूचना के अनुसार, अडानी समूह द्वारा एमआईएएल के अधिग्रहण को स्वीकृत माना गया था. यह अधिसूचना सितंबर 2020 में अपलोड की गयी थी.  एयरपोर्ट आथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), जो MIAL में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है, ने भी देश के दूसरे सबसे बड़े हवाई अड्डे के लिए अडानी समूह के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी. इसे भी पढ़ें:धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-people-upset-due-to-pollution-of-pathadih-kol-vasari-living-difficult/18233/">धनबाद:

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संयोग या साजिश-हिस्सेदारी बेचने के एक महीने पहले जांच एजेंसियों के राडार पर था GVK

यह संयोग ही था कि अडानी को अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला करने के मात्र एक महीने पहले जीवीके समूह को कई जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ा. 7 जुलाई 2020 को प्रवर्तन निदेशालय ने GVK समूह और उसके अध्यक्ष GVK रेड्डी, उनके बेटे GV संजय रेड्डी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3 के तहत शिकायत दर्ज की. यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ 27 जून 2020 को मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में 705 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितता के आरोप में दर्ज एफआईआर के आधार पर की गयी. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि अडानी समूह और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस खबर पर पक्ष जानने के लिए अखबार द्वारा भेजे ई-मेल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अडानी समूह के सूत्रों ने कहा कि बोली “नियत प्रक्रिया और उचित परिश्रम और मितव्ययिता” के निर्दिष्ट मानदंडों के अनुसार थी. एएआई से तीन हवाई अड्डों को लेने में देरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि “ऐसा महामारी के बीच में हवाई अड्डे के कर्मचारियों की अदला-बदली में होनेवाली कठिनाइयों” के कारण हुआ. इसे भी पढ़ें:रांची">https://lagatar.in/hearing-will-be-held-in-physical-court-in-ranchi-from-january-21-clients-will-have-to-go-to-court-to-attend/18179/">रांची

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