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कुछ लोग वनांचल चाहते थे, हमलोगों के आंदोलन के कारण झारखंड नाम पड़ा : हेमंत

वन पर्यावरण विभाग के 74वें वन महोत्सव में सीएम हुए शामिल मोबाइल एप्लीकेशन आधारित हाथी विचरण निगरानी प्रणाली ऐप, वन विभागीय वेबसाइट व राष्ट्रीय ट्रांजिट पास प्रणाली का उद्घाटन किया जलवायु परिवर्तन अनुकूलन से संबंधित बुकलेट का विमोचन किया Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को 74वें वन महोत्सव में कहा कि कुछ लोग इस राज्य का नाम वनांचल करना चाहते थे. अलग राज्य बनते समय इसका नाम झारखंड नहीं बल्कि वनांचल रखे जाने की वकालत की थी. मगर हमारे आंदोलनकर्ता, आदिवासी-मूलवासी के आंदोलन और लंबे संघर्ष के बाद इस राज्य का नाम झारखंड पड़ा. आंदोलन में न जाने कितने लोगों की शहादत और कुर्बानी के बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में वर्ष 2000 में हमें अलग झारखंड राज्य मिला. ये बातें सीएम ने ट्रेनिंग ग्राउंड, खोजाटोली नामकुम में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित 74वां वन महोत्सव कार्यक्रम के दौरान कही. इस मौके पर खिजरी विधायक राजेश कच्छप,विभागीय सचिव एलखियांगते, प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कुलवंत सिंह, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षकएन.के. सिंह सहित कई मौजूद थे. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/221-8.jpg"

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यहां दुनिया का हर खनिज, पर लोगों को मिला विस्थापन का दर्द

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयासरत है. वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इस निमित्त कई नयी कड़ियों को जोड़ने का कार्य निरंतर कर रही है. क्लाइमेट चेंज को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों में भागीदारी का संदेश नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है. अन्य राज्यों के लोग खनिज संपदा के लिए झारखंड से प्रेम करते हैं. प्रकृति ने देश की 40 प्रतिशत खनिज संपदा से इस राज्य को नवाजा है. इस राज्य में लगभग सभी खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं. यहां तक कि परमाणु बनने वाला खनिज भी इस राज्य में मौजूद है. परंतु विडंबना है कि इन खनिज संपदाओं का पूरा लाभ राज्यवासियों को आज तक नहीं मिल पाया. बल्कि यहां के लोगों को विस्थापन का दर्द जरूर मिला है.

इस वर्ष 2 करोड़ पौधे लगाने का है लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले हमारे पूर्वज क्लाइमेट चेंज पर चर्चा नहीं करते थे. वे वृक्ष बचाने की मुहिम नहीं चलाते थे. हमारे पूर्वज बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं हुआ करते थे. लेकिन उन्होंने पूरी शिद्दत और ईमानदारी के साथ जंगल को जीवन का अभिन्न अंग समझा था. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गतिशील मानव को ऐसी जगह खड़ा होना पड़ा, जहां मानव जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए जूझ रहा है. इस वर्ष राज्य में 2 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है. राज्य में 50 हजार एकड़ भूमि पर बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई जा रही है. मुख्यमंत्री वनधन योजना के तहत पेड़ लगाने पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.

लोगों की सहभागिता से हाथियों को संरक्षित करने में मिलेगी सफलता

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों का विचरण समय-समय पर होता है. क्योंकि जानवर भी गतिशील प्राणी होते हैं. हाथी का भी संरक्षण और मानव जीवन का भी संरक्षण हम सभी की प्राथमिकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों द्वारा घरों को क्षतिग्रस्त किया जाता है, नुकसान पहुंचाए गए घरों की क्षतिपूर्ति हेतु मुआवजा राशि में भी वृद्धि की गई है. आम लोगों के भागीदारी से ही हाथियों को भी संरक्षित करने में सफलता मिल सकेगी.

हमने समस्या खड़ी की, समाधन भी खुद ढूंढ़ना होगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि रांची कभी समर कैपिटल के रूप में जानी जाती थी. एकीकृत बिहार के समय गर्मी के महीनों में रांची में ही विधानसभा सत्र का आयोजन किया जाता था. रांची के आसपास के क्षेत्र में आज भी सर्दी के महीनों में बर्फ जमता है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां वो पेड़ मिलते हैं, जो बर्फीले पहाड़ों में पाए जाते हैं. इस प्रदेश में एक समय था जब चाय के बागान हुआ करते थे. लेकिन ये सभी चीजें धीरे-धीरे लुप्त होती गयी गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि समस्या ऊपर से नहीं आया बल्कि हमने खुद से समस्याओं को खड़ा किया है, इन समस्याओं का समाधान हमें स्वयं ढूंढना पड़ेगा.

घर-परिवार के हर उत्सव में एक पौधा जरूर लगाएं

हेमंत सोरेन ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि आज वन महोत्सव के दिन आप सभी लोग एक -एक पौधा जरूर लगाएं और उसको जरूर बचाएं. आप सभी लोग घर में कोई भी उत्सव हो या अपने माता-पिता के याद में या बच्चों के जन्मदिवस पर एक पौधा अवश्य लगाएं. समय रहते अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन हम सभी को ईमानदारी के साथ करने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को हरा- भरा रखने के लिए हमारी सरकार ने कानून बनाया है कि शहरी क्षेत्र में जो परिवार अपने घरों के कैंपस में पेड़ लगाएंगे प्रति पेड़ उन्हें 5 यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी. इस अवसर पर सीएम ने मोबाइल एप्लीकेशन आधारित हाथी विचरण निगरानी प्रणाली ऐप, वन विभागीय वेबसाइट, राष्ट्रीय ट्रांजिट पास प्रणाली का उद्घाटन तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन से संबंधित बुकलेट का विमोचन किया. उन्होंने पर्यावरण एवं वन संरक्षण पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों के बीच पारितोषिक का वितरण किया. इसे भी पढ़ें – रांचीः">https://lagatar.in/ranchi-transfer-posting-of-8-mvi/">रांचीः

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