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style="color: #0000ff;">Surjit Singh झारखंड विधानसभा का बजट सत्र का सिर्फ एक दिन बचा है. इस सत्र में एक बड़ी बात सार्वजिनक हुई है. वह यह कि अफसर">https://lagatar.in/flaws-in-the-intention-of-officers-misleading-government-in-the-house-due-to-misleading-answer-saryu-rai/39668/">अफसर
गलत सूचना देते हैं और अफसर">https://lagatar.in/legislators-deceive-pain-in-legislative-assembly-officers-do-not-give-respect/39767/">अफसर
विधायकों की नहीं सुनतें. यह विधायकों की पीड़ा है. जो छलक करके सामने आया है. पर, जरा रुकिये, विचार करिये, ऐसा क्यों हो रहा है? पिछले कुछ सालों में सत्ता ने और विधायकों ने ऐसा क्या कर दिया कि अब अफसर उनकी नहीं सुनतें. माफ करियेगा माननीय, असल में आप ने खुद ऐसे माहौल बनाये हैं. आप में से कई माननीय अफसरों के नाम पर ही राजनीति करते हैं. विपक्ष में होते हैं, तो अफसरों का नाम लेकर सरकार पर हमला करते हैं. जब सत्ता में आते हैं, तो उन्हीं दागी और भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर आपके प्रिय बन जाते हैं. विपक्ष में रहते हुए आप जिस अफसर को भ्रष्टाचारी बताते रहें, वही अफसर सत्ता में आते ही कर्तव्यनिष्ठ कैसे नजर आने लगता है. यह बात कोई आज की नहीं है. पिछले कई सरकारों में यही होता रहा है. माफ करियेगा, पर यह सच है कि आप में से कई माननीय ऐसे हैं जो अफसरों की जात, धर्म, क्षेत्र, विचारधारा और उसके बटुए का वजन देख कर आप तय करने लगे हैं कि कौन अफसर कैसा है. एक-दो तो ऐसे हैं, जो अफसरों के घर जा-जाकर अवैध कारोबार करने की प्लानिंग भी करते हैं. फिर आप कैसे उम्मीद करते हैं कि वह आपकी सुनें. आपका सम्मान करे. यह कैसे संभव है. माफ करियेगा, एक बार अपने आसपास चारो तरफ देखियेगा, जो चेहरे नजर आते हैं, उनके बारे में सोंचिये. कई ऐसे मिल जायेंगे जो बालू चोरी, कोयला चोरी, अवैध पत्थर कारोबार, अवैध आयरन ओर खनन, ठेकेदारी, शराब का सिंडिकेट चलाने से लेकर अन्य दूसरे अवैध या अनैतिक पेशे से जुड़े हुए हैं या जुड़ने की महत्वकांक्षा रखते हैं. फिर कैसे उम्मीद करते हैं कि अफसर आपसे डरे. आपकी सुनें. जबकि वह जानता है, जिस दिन वह टाईट हो गया, आपकी दिक्कतें बढ़ जायेंगी. यह अलग बात है कि आप यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अगर आप टाईट हो गये, तो अफसर भी ठीक हो जायेगा. आप कैसे भूल सकते हैं, इसी राज्य का एक मंत्री ने किसी की हत्या करवाने के लिये सुपारी दिया था. व्यवसायियों से रंगदारी मांग रहा था. जब पुलिस खोज रही थी, तब वह मानव तस्कर के घर में जाकर छिपा. अभी जेल में है. इसी राज्य के कई मंत्री अफसरों के साथ मिल कर सरकारी धन की लूट की. जो कमजोर थे, छोटे व स्थानीय दल से थे, वह फंस गये. बड़े व राष्ट्रीय दल के मजबूत नेता बच गये. इसी राज्य में एक अफसर सत्ताधारी दल का प्रचारक बन गये थे, आप चुप रहें. सरकार के पक्ष में खुलेआम नारे लगाये. आपने कभी सवाल नहीं उठाया. हमें पता है आपमें से कई विधायक अब भी बहुत अच्छे हैं. वो नैतिक-अनैतिक का फर्क समझते हैं. इसलिये सवाल उठाते हैं. आप विधायक हैं. माननीय हैं. अपने बीच ऐसे माननीय को ढ़ूंढिये. उनका पर्दाफाश करिये. क्योंकि जो आपकी नहीं सुनते, आपका सम्मान नहीं करते, उसे ऐसे ही माननीय बचाते हैं. संरक्षण देते हैं. उसकी पोस्टिंग कराते हैं. संभव है, इस लेख की बातें कड़वी लगे. आपको तकलीफ हो. आपको लगे कि आपके विशेषाधिकार पर हमला है. पर, रात में सोने से पहले कलेजे पर हाथ रख कर सोंचियेगा, सच तो यही है.
माफ करिये माननीय! अफसर आपकी नहीं सुनते, क्योंकि आप उनकी जात, धर्म व बटुए का वजन देख कर तय करते हैं कि वह कैसा है

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