- आदिवासी एकता महारैली में उमड़ा जनसैलाब, भरी गयी हुंकार
- कहा-आदिवासियों को बांट नहीं सकते भाजपा-आरएसएस, धर्म नहीं जाति के आधार पर मिले हैं संवैधानिक अधिकार-आरक्षण
- देश के 14 करोड़ आदिवासी एकजुट हो गए, तो मोदी को गद्दी छोड़नी पड़ेगी : शिवाजी राव
- आदिवासी एकता महारैली के बाद झारखंडी एकता महारैली करने का एलान
Kaushal Anand/Basant Munda
Ranchi : आरएसएस से संबद्ध संगठन जनजाति सुरक्षा मंच की हाल में ही डी-लिस्टिंग महारैली के जवाब में आदिवासी एकता महारैली का आयोजन रविवार को किया गया. झारखंड जनाधिकार मंच द्वारा रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस महारैली में भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया. रैली में आदिवासी एकता महारैली के बाद झारखंडी एकता महारैली करने का ऐलान किया गया. इसके लिए जिला-जिला, गांव-गांव जनजागरण करने की बात कही गयी. महारैली में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा छाया रहा. वक्ताओं ने साफ तौर कहा कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री को षड्यंत्र और साजिश के तहत फंसाया गया है. इसलिए इसका जवाब आदिवासी समाज 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर दें. लोकसभा की सभी 14 और विधानसभा का 81 में 81 सीट जिता कर हेमंत सोरेन को बतौर तोहफा देने का काम करें. आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव वोगे ने कहा कि पूरे देश में एक ही आदिवासी सीएम था. उसे भी भाजपा ने षड्यंत्र करके अपनी एजेसियों के माध्यम से गद्दी से हटा दिया. उन्होंने कहा कि भारत के आदिवासियों को जो अधिकार बाबा भीम राव अंबेडकर ने संविधान के तहत दिया, उसे कोई छीन नहीं सकता है. आदिवासियों को जो आरक्षण या अन्य सुविधाएं मिली है, वह जाति के आधार पर मिली है, न कि धर्म के नाम पर. अगर कोई धर्म परिवर्तन कर लेता है तो उसकी जाति खत्म नहीं हो जाती. आरक्षण को जाति के आधार पर किया गया है न कि धर्म के आधार पर. भाजपा के राज में जल, जंगल और जमीन खतरे में है. जबकि इस देश का असली मालिक तो आदिवासी ही है. देश के अगर 14 करोड़ आदिवासी एकजुट हो जाएं, तो मोदी जी को गद्दी छोड़नी पड़ेगी.
भाजपा बाहरियों की जमात, उल्टा-पुल्टा पढ़ाते रहते हैं : बंधु तिर्की
रैली के आयोजक पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि हमारे एक आदिवासी सीएम हेमंत सोरेन को एक साजिश के तहत जेल भेज दिया गया. ये लोग आदिवासी को देख ही नहीं सकते हैं. यह चुनावी साल है. इस साल सभी आदिवासियों को एकजुट होकर भाजपा-आरएसएस के कुचक्र का जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा में बाहरी लोगों की जमात है. ये लोग उल्ट-पुल्टा बोलते हैं, उल्टा पुलटा पढ़ाते हैं. हम भी पढ़ना-लिखना जान गए हैं. अब आएं हम दिकुओं को पढ़ाऐंगे. ये लोग 2019 में सरना धर्म कोड देने का वादा किया, जब हमारी सरकार ने प्रस्ताव भेजा, तो कुंडली मारके बैठ गए. यहां पर 14 में 12 सांसद भाजपा के हैं, ये लोग कभी सरना धर्म कोड की बात क्यों नहीं करते हैं. हर चीज की गलत व्याख्या करते हैं. हम आदिवासी इस देश के मूलवासी हैं. हर चीज पर हमारा हक है. आज दुनिया बची है तो आदिवासियों के कारण. हम खुद के साथ-साथ पेड़ पौधे, जल,जंगल जमीन और जीव जंतुओं को बचाते हैं. मगर ये भाजपा-आरएसएस के लोग जंगल तक बेचने पर उतारू हैं. अब समय आ गया है कि हमें एकजुट होकर संघर्ष करना होगा, तभी आदिवासी और आदिवासियत बचेगी.
महारैली को इन्होंने भी किया संबोधित
महारैली को पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार बुलमुचू, आजसू के संस्थापक और आदिवासी कांग्रेस नेता प्रभाकर तिर्की, पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की, सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला, ग्लैडस डुंगडुंग, वासवी, पीसी मुर्मू, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप, कांग्रेस नेत्री रमा खलखो, आदिवासी सेना के अध्यक्ष अजय कच्छप, क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप तिर्की, जगदीश लोहरा, रैली के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा, बेलस तिर्की समेत कई ने संबोधित किया. रैली में मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की के संदेश को रतन तिर्की ने पढ़ कर सुनाया.
महारैली के रहे ये मुद़्दे
-आदिवासी समुदाय के संवैधानिक हक अधिकारों को खत्म करने वाला यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून नहीं चलेगा.
-प्रक्रति पूजक आदिवासी समुदाय के लिए अलग धर्म कोड दिया जाये.
-डीलिस्टिंग के नाम पर आदिवासी समाज को लड़ाना बंद किया जाये.
-आदिवासी समुदाय के सभी धार्मिक, सामुदायिक, सामाजिक जमीन को चिह्नित कर दस्तावेजीकरण किया जाये.
-सीएनटी-एसपीपी एक्ट वाले जमीन पर छेड़छाड़ करना बंद हो.
-पेसा कानून को राज्य में लागू किया जाये.
आदिवासी समुदाय की घटती आबादी को रोकने के लिए विशेष कार्य योजना बनाई जाये.
-आदिवासी समुदाय के विस्थापन और पलायन रोकने के लिए तत्काल कदम उठाये जाएं.
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