Ranchi : झारखंड में जनजातीय आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने विस्तृत योजना बनायी है. प्रदेश में जनजातीय आबादी वाले 14 जिलों में हर घर जल योजना के तहत विशेष अभियान चलाया जाएगा. वर्ष 2021-22 में योजना के तहत पूरे राज्य में 7.50 लाख नल कनेक्शन प्रदान करने की है. पेयजल विभाग ने 2024 तक ‘हर घर जल’ योजना के तहत हर घर तक वाटर कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
प्रदेश के लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज, रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, प. सिंहभूम तथा सरायकेला-खरसावां जिले में जनजातिय आबादी ज्यादा है. इन जिलों में विशेष अभियान के तहत पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा. झारखंड में 58.95 लाख ग्रामीण परिवार हैं, इनमें से 7.40 लाख (12.6 प्रतिशत) के पास नल जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है. जल जीवन मिशन (जेजेएम) के बाद से राज्य में 4 लाख से ज्यादा नल जल कनेक्शन प्रदान किये जा चुके हैं. राज्य में केवल 315 गांवों को ही ‘हर घर जल’ गांव घोषित किया गया है. जिसका मतलब यह है कि इन गांवों के प्रत्येक घर में नल जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है.
कोरोना से हो रही परेशानी, फिर भी 172 जलापूर्ति योजनाओं का काम
कोरोना की वजह से करीब 44 लाख 45 हजार लोगों को पीने का शुद्ध पानी समय पर नहीं मिल पाएगा. प्रदेशभर में पेयजल विभाग सरफेस वाटर आधारित 172 जलापूर्ति योजना पर काम कर रहा था. इन योजनाओं पर 4 हजार 706 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. मगर कोविड की वजह से ज्यादातर योजनाओं का काम प्रभावित हो गया है. अफसरों के कोरोना संक्रमित होने की वजह से योजनाओं की मॉनिटरिंग प्रभावित हो गयी है.
प्रदेश में 84 लाख जनजातीय आबादी, संभाल में सबसे ज्यादा 66 प्रतिशत
राज्य में 32 जनजातियां हैं. इनमें से आठ आदिम जनजाति की श्रेणी में हैं. इनको छोड़ 24 जनजातियों की आबादी करीब 83.52 लाख है. आठ आदिम जनजाति आबादी लगभग 2.92 लाख है. जनगणना-2011 के अनुसार, संताल सबसे बड़ी जनजाति है. इनकी जनसंख्या 27.54 लाख है. इनके बाद उरांव (लगभग 17.16 लाख) व मुंडा (करीब 12.29 लाख) हैं. दरअसल संताल, उरांव व मुंडा कुल जनजातीय आबादी के करीब 66% हैं. अकेले संतालों की आबादी ही कुल जनजाजीय आबादी की लगभग 32% है.