डॉ समरीना कमाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ
एसोसिएट प्रो. एमजीए
डेपुटेशन पर रांची सदर अस्पताल में कार्यरत
पैगम्बर मोहम्मद (स.) ने अपने जीवनकाल में महिलाओं के अधिकारों और उनके स्वास्थ्य की देखभाल को विशेष महत्व दिया. उस समय जब समाज में महिलाओं को अक्सर उपेक्षित किया जाता था. पैगम्बर (स.) ने स्पष्ट रूप से बताया कि महिला भी पुरुष की तरह सम्मान और देखभाल की अधिकारी है. उन्होंने महिलाओं के लिए स्वच्छता, पोषण, मानसिक शांति और सुरक्षित मातृत्व पर जोर दिया.
पैगम्बर (स.) ने कहा कि स्वच्छता आधा ईमान है. यह संदेश केवल धार्मिक शुचिता के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी था. उन्होंने महिलाओं को संतुलित आहार लेने, बीमार पड़ने पर इलाज कराने और मानसिक शांति बनाए रखने की हिदायत दी. विशेषकर गर्भवती महिलाओं के अधिकारों पर उन्होंने बल दिया. उन्होंने समाज को बताया कि इनकी देखभाल करना, आराम देना और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना परिवार का कर्तव्य है.
इतिहास में उल्लेख मिलता है कि पैगम्बर (स.) ने महिलाओं के लिए दाई और चिकित्सकों की सेवाओं का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि हर बीमारी की दवा अल्लाह ने बनाई है, इसलिए इलाज कराना जरूरी है. यह शिक्षा आधुनिक चिकित्सा पद्धति से भी मेल खाती है.
महिलाओं के साथ सौम्यता और करुणा बरतना, उनकी आवश्यकताओं को समझना और उन्हें मानसिक शांति देना भी पैगम्बर (स.) की शिक्षाओं का हिस्सा है. इसलिए महिला स्वास्थ्य केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक आयामों से भी जुड़ा हुआ है.
पैगम्बर मोहम्मद (स.) की ये शिक्षाएं आज भी समाज को याद दिलाती हैं कि महिला स्वास्थ्य सुरक्षित होगा तो परिवार और समाज स्वस्थ रहेंगे.
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