Deoghar: महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व यानि फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि के अवसर पर बुधवार को मंदिर के पंचशूल की विशेष पूजा होती है. बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती सहित अन्य शिखरों से उतारे गये सभी पंचशूलों की सामूहिक पूजा की गई. तीर्थ पुरोहितों की उपस्थिति में विधि-विधान से पंचशूल पूजा संपन्न करायी गयी. पंचशूल पूजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.
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शिखर पर पंचशूलों को वापस लगाये जाने की है परंपरा
पूजा के बाद सबसे पहले पंचशूलों को मंदिर के शिखर पर वापस लगाया जायेगा. प्राचीन काल से ही बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर पर पंचशूलों को वापस लगाये जाने की परंपरा है. इस विशेष पूजा के बाद बाबा और पार्वती मंदिरों के बीच प्रथम गठबंधन भी कराया जाता है. इसी क्रम में अन्य सभी मंदिरों के शिखरों से उतारे गये पंचशूलों को फिर से लगाया जाता है.
तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि बाबा मंदिर प्रांगण में स्थित सभी 22 मंदिरों के शिखरों से पंचशूल परंपरानुसार उतार लिए गये थे. इन्हें सामूहिक पूजा के बाद पुर्नस्थापित किया गया. इसके बाद आम भक्तों द्वारा गठबंधन चढ़ाने का कार्य शुरू होता है.
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देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ की विशेष महत्त्व है
झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर विशाल शिव मंदिर की अलग पहचान है. देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से बाबा धाम की पहचान अलग है. यही कारण है यहां सालों भर बाबा को जल अर्पण करने के लिए भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां त्रिशूल नहीं पंचशूल है. इसे सुरक्षा कवच भी माना जाता है.