NewDelhi : श्रीलंका का आर्थिक संकट गहरा गया है.जैसी की खबरें आ रही है, महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है. खाने-पीने की चीजें भी लोगों की पहुंच से हर दिन बाहर होती जा रही हैं. सूत्रों के अनुसार देश का खजाना लगभग खाली हो चुका हैं. जानकारों का मानना है कि 2022 में श्रीलंका दिवालिया घोषित हो जाये तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी. श्रीलंका क्षेत्रफल के मामले में तमिलनाडु का लगभग आधा है. आबादी करीब सवा दो करोड़ है. श्रीलंका की जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 10 फीसदी से ज्यादा है. जान लें कि श्रीलंका की सरकार की कमान राजपक्षे परिवार के पास है. एक भाई गोटाभाया राजपक्षे राष्ट्रपति हैं तो दूसरे भाई महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री हैं. इसका मतलब राजपक्षे परिवार के पास सारी अहम शक्तियां सीमित हैं.
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सरकारी खजाना खाली हो चुका है
कहा जा रहा है कि कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी खर्च और टैक्स में जारी कटौती के कारण सरकारी खजाना खाली हो चुका है. साथ ही कर्जों के भुगतान का दबाव भी बढ़ता जा रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर है. विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार महामारी की शुरुआत से अब तक पांच लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गये हैं. नवंबर में महंगाई दर रिकॉर्ड 11.1% पर थी. दिसंबर में खाने-पीने के सामान 22.1 फीसदी महंगे हो गये हैं. जैसी का जानकारी सामने आ रही है, श्रीलंका अब खाने-पीने के सामान की कमी से जूझ रहा है.
इतने पैसे नहीं हैं कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति आयात के जरिए की जाये. श्रीलंका में लोगों के लिए तीन वक्त का खाना भी मुश्किल हो गया है. श्रीलंका की राजपक्षे सरकार ने पिछले साल आर्थिक आपातकालीन स्थिति की घोषणा की थी. सेना को जरूरी सामान की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. चीनी और चावल के लिए सरकारी कीमत तय की गयी, लेकिन लोगों की मुश्किलें बढ़ती चली गयी.
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मेरा परिवार तीन टाइम के बदले दो वक्त ही खाना खा रहा है
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में अनुरुद्दा परांगमा नाम के एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि वो गाड़ी का लोन चुकाने के लिए दूसरा काम भी करते हैं लेकिन फिर भी नाकाफी साबित हो रहा है. उन्होंने कहा, मेरे लिए गाड़ी का लोन चुकाना बहुत मुश्किल है. बिजली, पानी और खाने-पीने के खर्चों के बाद कुछ बचता नहीं है कि गाड़ी का लोन अदा कर सकूं. मेरा परिवार तीन टाइम के बदले दो वक्त ही खाना खा रहा है.’अनुरुद्दा ने बदहाली की सच्चाई बयां करने के लिए एक मिसाल दी.
कोविड महामारी ने पर्यटन क्षेत्र को तबाह कर दिया
उन्होंने कहा, मेरे गांव की दुकान में एक किलो दूध पाउडर के पैकेट को खोल 100-100 ग्राम के पैक तैयार किए जाते हैं क्योंकि लोग एक किलो का पैकेट नहीं खरीद सकते. अब हम 100 ग्राम बीन्स से ज्यादा नहीं खरीद पाते हैं. पर्यटन से श्रीलंका में विदेशी मुद्रा आती थी और लोगों को रोजगार भी मिलता था लेकिन कोविड महामारी ने उसे भी तबाह कर दिया. वर्ल्ड ट्रैवेल एंड टूरिजम काउंसिल के अनुसार, श्रीलंका में दो लाख से ज्यादा लोगों की पर्यटन क्षेत्र से नौकरियां गयी है
श्रीलंका के स्थानीय अखबारों की रिपोर्ट कहती है कि श्रीलंका के पासपोर्ट ऑफिस में लंबी लाइनें लग रही हैं. श्रीलंका में पढ़े लिखे नौजवानों में हर चार में से एक देश छोड़ना चाहता है. अभी की हालत श्रीलंका के बुजुर्गों को 1970 के दशक की याद दिला रही है, जब आयात नियंत्रण और देश के भीतर कम उत्पादन के कारण बुनियादी सामानों के लिए लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता था.
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आम लोगों के टकराव से आर्थिक संकट और गहरा सकता है.
श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पूर्व उप-गवर्नर वा विजेवार्देना ने चेतावनी जारी की है आम लोगों के टकराव से आर्थिक संकट और गहरा सकता है. उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी और मुश्किल होने वाली है. आर्थिक संकट काबू से बाहर हो जायेगा तो स्थिति और बदतर होगी. खाद्य संकट भी बढ़ने की आशंका है क्योंकि उत्पादन कम हो रहा है और आयात के लिए पैसे नहीं हैं. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या है, बढ़ता विदेशी कर्ज. खास करके चीन का कर्ज. श्रीलंका पर चीन का पांच अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. पिछले साल श्रीलंका ने आर्थिक संकट से बचने के लिए एक अरब डॉलर का कर्ज और लिया था.
अब इन कर्जों का भुगतान करने की बारी है. अगले 12 महीनों में श्रीलंका की सरकार और वहां के निजी सेक्टर को एक अनुमान के अनुसार घरेलू और विदेशी कर्जों के रूप में 7.3 अरब डॉलर का भुगतान करना है. इसमें 50 करोड़ डॉलर का अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है. इसका भुगतान तो जनवरी में ही करना है. दूसरी तरफ नवंबर तक श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार 1.6 अरब डॉलर ही बचा था.
श्रीलंका के विपक्षी सांसद और अर्थशास्त्री हर्ष डीसिल्वा ने हाल ही में संसद में कहा था, इस साल जनवरी में श्रीलंका के पास कुल विदेशी मुद्रा माइनस 43.7 करोड़ डॉलर होगी जबकि फरवरी में कर्ज चुकाने के लिए 4.8 अरब डॉलर की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में श्रीलंका पूरी तरह से दिवालिया ही होगा.