और त्रिपुरा दौरे पर पीएम मोदी , कहा, कुछ लोग सत्ता के लिए मणिपुर को फिर अस्थिर करना चाहते हैं
सरकारी खजाना खाली हो चुका है
कहा जा रहा है कि कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी खर्च और टैक्स में जारी कटौती के कारण सरकारी खजाना खाली हो चुका है. साथ ही कर्जों के भुगतान का दबाव भी बढ़ता जा रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर है. विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार महामारी की शुरुआत से अब तक पांच लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गये हैं. नवंबर में महंगाई दर रिकॉर्ड 11.1% पर थी. दिसंबर में खाने-पीने के सामान 22.1 फीसदी महंगे हो गये हैं. जैसी का जानकारी सामने आ रही है, श्रीलंका अब खाने-पीने के सामान की कमी से जूझ रहा है. इतने पैसे नहीं हैं कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति आयात के जरिए की जाये. श्रीलंका में लोगों के लिए तीन वक्त का खाना भी मुश्किल हो गया है. श्रीलंका की राजपक्षे सरकार ने पिछले साल आर्थिक आपातकालीन स्थिति की घोषणा की थी. सेना को जरूरी सामान की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. चीनी और चावल के लिए सरकारी कीमत तय की गयी, लेकिन लोगों की मुश्किलें बढ़ती चली गयी. इसे भी पढ़ें : पैंगोंग">https://lagatar.in/china-is-laying-a-network-of-roads-and-bridges-in-aksai-chin-including-pangong-lake-satellite-photos-are-telling-the-same/">पैंगोंगझील सहित अक्साई चिन में सड़कों-पुलों का जाल बिछा रहा चीन, सैटलाइट तस्वीरें यही बता रही
मेरा परिवार तीन टाइम के बदले दो वक्त ही खाना खा रहा है
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में अनुरुद्दा परांगमा नाम के एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि वो गाड़ी का लोन चुकाने के लिए दूसरा काम भी करते हैं लेकिन फिर भी नाकाफी साबित हो रहा है. उन्होंने कहा, मेरे लिए गाड़ी का लोन चुकाना बहुत मुश्किल है. बिजली, पानी और खाने-पीने के खर्चों के बाद कुछ बचता नहीं है कि गाड़ी का लोन अदा कर सकूं. मेरा परिवार तीन टाइम के बदले दो वक्त ही खाना खा रहा है.`अनुरुद्दा ने बदहाली की सच्चाई बयां करने के लिए एक मिसाल दी.कोविड महामारी ने पर्यटन क्षेत्र को तबाह कर दिया
उन्होंने कहा, मेरे गांव की दुकान में एक किलो दूध पाउडर के पैकेट को खोल 100-100 ग्राम के पैक तैयार किए जाते हैं क्योंकि लोग एक किलो का पैकेट नहीं खरीद सकते. अब हम 100 ग्राम बीन्स से ज्यादा नहीं खरीद पाते हैं. पर्यटन से श्रीलंका में विदेशी मुद्रा आती थी और लोगों को रोजगार भी मिलता था लेकिन कोविड महामारी ने उसे भी तबाह कर दिया. वर्ल्ड ट्रैवेल एंड टूरिजम काउंसिल के अनुसार, श्रीलंका में दो लाख से ज्यादा लोगों की पर्यटन क्षेत्र से नौकरियां गयी है श्रीलंका के स्थानीय अखबारों की रिपोर्ट कहती है कि श्रीलंका के पासपोर्ट ऑफिस में लंबी लाइनें लग रही हैं. श्रीलंका में पढ़े लिखे नौजवानों में हर चार में से एक देश छोड़ना चाहता है. अभी की हालत श्रीलंका के बुजुर्गों को 1970 के दशक की याद दिला रही है, जब आयात नियंत्रण और देश के भीतर कम उत्पादन के कारण बुनियादी सामानों के लिए लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता था. इसे भी पढ़ें : नये">https://lagatar.in/home-ministry-in-alert-mode-in-the-new-year-shah-reviews-global-terrorism-terror-financing-narco-terrorism-with-officials/">नयेसाल में गृह मंत्रालय अलर्ट मोड में, शाह ने वैश्विक आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण, नार्को-आतंकवाद पर अधिकारियों संग समीक्षा की

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