सेवा सदन अस्पताल की गली में जहां-तहां शौच करते हैं लोग, बदबू से परेशानी
आपत्तियों को मानते हुए आयोग ने कार्रवाई के दिए निर्देश
एनटीपीसी के चट्टी बरियातू कोल खनन परियोजना के खनन स्थल के समीप आदिम जनजाति समुदाय के बिरहोर टोला निवासी नाबालिग किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत के मामले में मंटु सोनी की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने हजारीबाग डीसी-एसपी से जवाब मांगा था. डीसी-एसपी ने आयोग को भेजे जवाब पर शिकायतकर्ता ने प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि खनन से पूर्व वन अधिकार अधिनियम के तहत बिरहोर परिवारों को उनके लिए उपयुक्त जगह पर क्यों नहीं बसाया गया? फॉरेस्ट क्लियरेंस में वनाधिकार अधिनियम के अनुपालन का गलत रिपोर्ट क्यों दिया गया? खनन से पूर्व बिरहोर परिवारों ने बसाने का आवेदन डीसी को दिया, उसे क्यों इग्नोर किया गया? सदर अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? मौत पर खनन एजेंसियों द्वारा किस आधार पर 40 हजार मुआवजा दिया गया? दोनों मौतों के बाद पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? पूरे प्रकरण के पीछे की कहानी आयोग को बताया गया कि कोयला मंत्रालय द्वारा समय और लक्ष्य के मुताबिक चट्टी बरियातू कोयला परियोजना से उत्पादन,खनन और परिवहन में विलंब के लिए बैंक गारंटी का तीस प्रतिशत जब्त कर लिया गया था. इसलिए जिला प्रशासन से मिलीभगत कर प्रयोक्ता एजेंसी द्वारा आनन-फानन में आदिम जनजाति समुदाय पर खतरों को दरकिनार कर खनन कार्य चालू किया गया था. जिसके बाद आयोग ने हज़ारीबाग़ डीसी-एसपी को पंद्रह दिन में कार्रवाई कर आयोग को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. इसे भी पढ़ें -पेयजल">https://lagatar.in/drinking-water-scam-engineers-took-rs-3-crore-each-in-cash-from-the-fraudulent-withdrawal-of-rs-19-73-crore/">पेयजलघोटाले में 19.73 करोड़ की फर्जी निकासी में से इंजीनियरों ने 3-3 करोड़ नकद लिया
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