कोरोना संक्रमण के पहले लहर में ही दिखी थी कमी, लेकिन विभागीय अधिकारियों और हेल्थ मिनिस्टर ने नहीं दिया ध्यान
अब जब व्यवस्था बिगड़ी तो 800 स्वास्थ्यकर्मियों के नियुक्ति की तैयारी में स्वास्थ्य विभाग
संविदा में कार्यरत पारा मेडिकल इस आपदा में भी सरकार पर बना रहे दबाव, चिकित्सा सेवा के अभाव में मर रहे लोग
Ranchi : राज्य में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में सरकार के समक्ष सबसे बड़ी समस्या मैनपावर (पारा मेडिकल-स्वास्थ्यकर्मियों) को लेकर आ रही है. मरीजों के इलाज में कार्यरत नर्से कम पड़ रही है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने फैसला किया है कि अगले 3 माह के लिए राज्य में 800 स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति होगी. लेकिन यह जानकारी सभी को आश्चर्य होगा कि करीब तीन माह पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा करीब 700 पारा मेडिकल की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द किया गया है. हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता को भी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करने की जानकारी थी. लेकिन उन्होंने भी इसपर कोई विशेष रोक नहीं लगायी. अगर यह प्रक्रिया रद्द नहीं होती,तो आज न ही हॉस्पिटलों में मैन पावर की कमी होती और न ही विभाग को केवल तीन माह के लिए 800 स्वास्थ्यकर्मियों को नियुक्त करना पड़ता.
नर्से जानती है कि अपनी मांगों को मनवाने का इससे बेहतर दिन कोई हो ही नहीं सकता
बता दें कि राजधानी के जिस सदर हॉस्पिटल में भर्ती संक्रमित मरीज अपने जिंदगी और मौत से जुझ रहे है, उसी हॉस्पिटलों के नर्से आज अपनी मांगों को मनवाने को लेकर स्ट्राइक पर चली गयी है. कई डॉक्टर भी अभी अस्पताल आने से परहेज कर रहे है. इसमें से अधिकांश नर्सें व कर्मी संविदा पर कार्यरत है. सभी नर्से जानती है कि अपनी मांग मनवाने का इससे अच्छा कोई दिन हो ही नहीं सकता. हालांकि सरकार ने कुछ डॉक्टरों पर प्राथमिक दर्ज की है. नर्सों की मांग को भी माना है, लेकिन फिर भी यह कहने में कोई परहेज नहीं कि आज राज्य सरकार पूरी तरह से बैकपुट पर है. इसका कारण सीधे तौर पर सूबे के हेल्थ मिनिस्टर है. अगर वे इन 700 पारा मेडिकल नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द नहीं करते, तो शायद हॉस्पिटलों में मैन पावर की उतनी दिक्कतें नहीं होती, जितनी आज हो रही है.
कोरोना के पहले लहर में ही दिखी थी कमी, मंत्री व विभागीय अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान
कोरोना के पहली लहर में भी इस बात का संकेत मिल गया था कि कोरोना संकट में लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट तथा एएनएम जैसे पारा मेडिकल कर्मियों की नियुक्ति जरूरी है. इनकी जैसी कमी है, वह राज्य में आनेवाले समय में परेशानी का भारी सबब बन सकती है. लेकिन न ही हेल्थ मिनिस्टर ने इस और ध्यान दिया न ही विभागीय अधिकारियों ने. फिर भी 700 पार मेडिकल की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. यह नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2015 से ही लटकी थी, जब स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने पारा मेडिकल पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए थे. उसके बाद से यह नियुक्ति नियमों के पेंच में फंसी हुई रह गयी.