- रिम्स में कुपोषण प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ
स्वास्थ्य सेवाओं में कमियों को बताया
अरुण कुमार सिंह ने स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न पहलुओं में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. इनमें स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रशिक्षण, आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता और देखभाल के लिए समग्र मानक शामिल हैं. साथ ही आदिवासी समुदाय का उत्थान और स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूदा कमियों को दूर करने पर प्रकाश डाला.कार्यशाला को इन्होंने किया संबोधित
निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं बीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके, हमें उस ओर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. यूनिसेफ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कनिका मित्रा ने झारखंड में लड़कियों की कम उम्र में विवाह के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया. बताया कि इससे एनीमिया की समस्या हो सकती है.क्या कहते हैं आंकड़े
गौरतलब है कि सरकार के प्रयासों से तीव्र कुपोषण वाले बच्चों के अनुपात को 2015-16 में 29% से 2019-21 में 22% तक लाने में सफलता मिली है. इसी अवधि में नाटे बच्चों का अनुपात 45.3% से घटकर 39.6% हुआ है. बच्चों में गंभीर तीव्र कुपोषण का प्रसार 2015-16 में 11.4% से घटकर 2019-21 में 9.1% हो गया है. लेकिन पोषण संबंधी आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में कुपोषण अभी भी अधिक है. 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं में गंभीर कुपोषण की समस्या तेजी से सामने आ रही है.ये रहे मौजूद
कार्यशाला के पहले दिन रिम्स चिकित्सा अधीक्षक डॉ हीरेन्द्र बिरुआ, संयुक्त सचिव राजेश प्रजापति, महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग व रिम्स के शिशु रोग विभाग के चिकित्सक मौजूद रहे. इसे भी पढ़ें – रेल">https://lagatar.in/rail-accident-serious-strict-action-will-be-taken-against-the-culprits-pm-modi/">रेलहादसा गंभीर, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई- पीएम मोदी [wpse_comments_template]