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विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है. आजादी के पहले से वक्फ एक्ट मौजूद था और आज़ादी के बाद भी इसमें कई संशोधन किए गए हैं. अब तक इस एक्ट में पांच बार संशोधन हो चुके हैं. जब तब यह असंवैधानिक नहीं था, तो अब यह संशोधन असंवैधानिक कैसे हो सकता है? आजादी के बाद 1954 में ब्रिटिश काल से चले आ रहे वक्फ एक्ट को रेगुलेट कर वक्फ एक्ट बनाया गया. इसके बाद 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया. 2013 में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने इसमें गैरकानूनी तरीके से संशोधन कर वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दे दिए, जिससे वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन पर अपना अधिकार जता सकता है.वक्फ से जुड़ी समस्या केवल मुसलमानों की नहीं है
वक्फ से जुड़ी समस्याएं केवल मुसलमानों की नहीं हैं, बल्कि इससे बड़े पैमाने पर हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई और यहां तक कि मुस्लिम भी पीड़ित हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें वक्फ बोर्ड ने मनमाने तरीके से मंदिरों, गुरुद्वारों और यहां तक कि पूरे गांव को वक्फ संपत्ति के रूप में घोषित कर दिया है. कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ को धार्मिक बोर्ड नहीं माना है, बल्कि इसे वक्फ अधिनियम के तहत स्थापित एक ट्रस्ट या संस्था के रूप में देखा है, जो संपत्ति के प्रबंधन और रखरखाव से संबंधित है.पहले से रजिस्टर्ड भू-संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम से पहले से रजिस्टर्ड भू-संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जिन मुद्दों पर विवाद चल रहे हैं, उनका निपटारा कोर्ट के आदेश पर होगा. वक्फ संशोधन अधिनियम केवल राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, सर्वेक्षण और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए लाया गया है. यह विधेयक सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे कांग्रेस सरकार ने तैयार किया था. इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले.कई मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने भी किया समर्थन
कई मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने भी वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है. केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) ने केरल के सभी सांसदों से इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की है. यह विधेयक सुधार के लिए है, विद्रोह के लिए नहीं. यह बिल गरीब मुसलमानों और महिलाओं के अधिकारों को भी सुनिश्चित करेगा. हम इस बिल के माध्यम से पारदर्शिता ला रहे हैं.कांग्रेस के समय काफी गड़बड़ियां हुईं
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 2013 में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आनन-फानन में 13 सदस्यीय सेलेक्ट कमेटी बनाकर वक्फ एक्ट में कई गैरकानूनी संशोधन किए और वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दे दिए, जिससे काफी गड़बड़ियां पैदा हुईं. इसके अनुसार यदि वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है, तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है. सारे कागजात और सबूत दावेदार को देने होंगे, जो अब तक उस संपत्ति का दावा कर रहा था. वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागजात नहीं देना पड़ता. कांग्रेस पार्टी सहित इंडी गठबंधन के लोगों को जनता को दिग्भ्रमित करने से बाज आना चाहिए. इसे भी पढ़ें -निजी">https://lagatar.in/commission-game-begins-in-private-schools-huge-profits-on-childrens-books-dresses-and-bus-fees/">निजीस्कूलों में कमीशन का खेल शुरू, बच्चों की किताबों, ड्रेस और बस फीस पर मोटा मुनाफा
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