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राज्य सरकार TSP, SCSP की राशि खर्च के लिए जल्द बनाये कानून, चमरा लिंडा और सीता सोरेन की मांग

Pravin Kumar Ranchi: राजस्थान सरकार आने वाले बजट सत्र में एससी-एसटी संबंधित योजनाओं के लिए नया कानून लाने वाली है. इस कानून में एससी-एसटी के लिए बजट में अलग फंड बनाने की योजना है. इस फंड का उपयोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित योजनाओं पर खर्च होगी. जिन्हें आदिवासी उप-योजना (टीएसपी) और अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) से संबंधित क्षेत्रों में लागू किया जाना है. जबकि झारखंड में भी आदिवासी उप योजना (टीएसपी) और अनुसूचित जाति उप योजना से करोड़ों की बजट राशि खर्च होती है. बावजूद आदिवासी समुदाय का समुचति विकास नहीं हो सका है. आदिवासियों के विकास के लिए जरूरी है राज्य में कानून बनायी जाये.

किन राज्यों में है टीएसपी को लेकर कानून

आदिवासी उप योजना और अनुसूचित जाति उप योजना से संबंधित कानून आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में लागू है. अब राजस्थान सरकार भी इसे लेकर कानून बनाने जा रही है. राजस्थान सरकार आगामी बजट सत्र में एससी-एसटी संबंधित योजनाओं के लिए नया कानून लाएगी. इसे ``राजस्थान अनुसूचित जाति-जनजाति विकास अधिनियम`` नाम दिया जाएगा.

झारखंड सरकार टीएसपी और एससीएसपी की राशि खर्च लिए बनाये कानून- चमरा लिंडा

झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक सह ट्राइबल (Tribal) एडवाइजरी काउंसिल सदस्य चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासियों के लिए दुर्भाग्य की बात है कि झारखंड गठन के 21 साल बाद भी टीएसपी की राशि खर्च करने के लिए कोई कानून ही नहीं बना है. झारखंड सरकार जल्द से जल्द इस पर कानून बनाये और राज्य के आदिवासी समुदाय के विकास के लिये अलग बजट का प्रवधान करे. झारखंड में भी टीएसपी के लिए आवंटित राशि का उपयोग कर बेहतर काम किया जा सकता है. मगर यह संभव तभी है जब झारखंड में अन्य राज्यों की तरह टीएसपी के लिए कानून बनाया जाये. इसे भी पढ़ें-NHA">https://lagatar.in/nha-gave-a-letter-of-appreciation-to-dr-bhuvnesh-pratap-singh-for-prompt-execution-of-complaints-of-ayushman-yojana/">NHA

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TAC की बैठक में कानून बनाने का प्रस्ताव रखूंगी- सीता सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक सह TAC मेंबर सीता सोरेन ने कहा कि अन्य राज्यों की तर्ज पर एससी और एसटी के विकास के लिए राशि खर्च करने का राज्य में कानून होना चाहिए. झारखंड सरकार टीएसपी की राशि खर्च करने के लिए कानून बनाये. TAC की होने वाली बैठक में इस इस संबंध में कानून बनाने के लिए अपना प्रस्ताव रखूंगी. ताकि आदिवासी और एससी समाज के बड़े वंचित तबके को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

करोड़ों की राशि खर्च होने के बाद भी आदिवासी अंचल में कई सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील मिंज ने कहा कि राज्य में कानून बनना चाहिए. कानून नहीं बनने के कारण पिछले 35 सालों से वित्तीय अनियमितता जारी है. झारखंड में एससी-एसटी आबादी के अनुपात में बजट का आवंटन किया जाना चाहिए. सुनील ने आगे कहा कि राज्य में आदिवासी उप योजना (टीएसपी) और अनुसूचित जाति उप योजना के पैसे से इन समुदाय के प्रत्यक्ष विकास के लिए योजना संचालन करने की पहल शुरू नहीं की सकी है. आज भी राज्य में कई आदिवासी इलाके हैं जहां बुनियादी सुविधाओं से लोग वंचित हैं. पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य पलायन, मानव तस्करी, रोजगार का संकट, कुपोषण जैसे सवालों से आदिवासी समुदाय घिरा हुआ है. इन सवालों के हल के लिए सरकार को विशेष पहल करने की आवश्यकता है. इसपर पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि टीएसपी-एससीएसपी की राशि खर्च करने के लिए राज्य में कानून बनना चाहिए ताकि आदिवासी और एससी समुदाय का विकास हो सके.इस दिशा में सता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए. इसे भी पढ़ें-सोशल">https://lagatar.in/post-on-social-media-for-killing-a-youth-three-including-cleric-of-ahmedabad-arrested/">सोशल

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पेयजल संकट से जूझ रहे राज्य के कई आदिवासी इलाके

झारखंड की उप राजधानी दुमका की अगर बात करें तो कई गांव ऐसे हैं जहां पेयजल संकट मौजूद है. वहीं लातेहार जिला का नेतरहाट का पाट क्षेत्र हो या गुमला जिला के बिशनपुर प्रखंड के गांव, आदिम जनजातियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए कोसों दूर से पानी लानी पड़ती है. वहीं पश्चिम सिंहभूम के दर्जनों गांवों को सड़क से जोड़ा नहीं जा सका है. कमोबेश राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले आदिवासी समुदाय विकास योजनाओं से वंचित रह गये हैं. जिसे खारिज नहीं किया जा सकता है. [wpse_comments_template]  

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