- विभागीय मंत्री के हस्तक्षेप की वजह से अटका पड़ा है गठन
- आवेदन जमा होने के दो साल बाद भी नहीं हो पाई नियुक्ति
Ranchi : ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार के मनमाने कामकाज की शैली के कारण मनरेगा के तहत राज्य स्तरीय अपीलीय प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है. कामकाज का आंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग दो साल से इसके गठन की प्रक्रिया जारी है, लेकिन अभी तक इस पर कार्रवाई प्रक्रियाधीन ही है. हालांकि, अपीलीय प्राधिकरण के पद पर नियुक्ति के लिए फरवरी 2022 में ही विज्ञापन प्रकाशित किया गया था.
14 मार्च तक आवेदन ऑफलाइन जमा कराना था और दिसंबर 2022 में ही साक्षात्कार पूरी करके प्राधिकरण का गठन का लक्ष्य रखा गया था. सूत्रों के मुताबिक, विभागीय मंत्री इन पदों में आपने लोगों को बैठना चाहते हैं. नतीजतन, आवेदन जमा हुए दो साल बीत गये, लेकिन राज्य स्तरीय अपीलीय प्राधिकरण का गठन नहीं हो सका. यह पूरा मामला कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम (ग्रामीण विकास विभाग मंत्री) के हस्तक्षेप की वजह से अटका पड़ा हुआ है.
राजस्तरीय अपीलीय प्राधिकार का क्या है काम
मनरेगा में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में मिल रही शिकायतों, अनियमितताओं आदि पर लोकपाल सुनवाई करते हैं. सुनवाई के बाद लोकपाल जो आदेश पारित करते हैं, उस आदेश के खिलाफ दूसरा पक्ष राजस्तरीय अपीलीय प्राधिकार में अपना पक्ष रख सकता है. राज्य में अभी तक प्राधिकरण के गठन नहीं होने से मनरेगा की शिकायतों पर पारित लोकपाल के आदेश के खिलाफ अपील नहीं हो पा रही हैं. वर्तमान में राज्य के 19 जिलो में ही मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति की गयी है.
कितने लोगों की होनी है नियुक्ति
अपीलीय प्राधिकरण के पद पर तीन लोगों की नियुक्ति की जानी है. सामाजिक, शिक्षा व प्रशासनिक क्षेत्र में जिन्होंने कार्य किये हैं, उन्हें ही इन पदों के लिए योग्य माना गया है. ग्रामीण विकास विभाग ने जो आवेदन मांगे थे, उसमें बड़ी संख्या योग्य लोगों ने आवेदन जमा किये थे.
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