alt="" width="750" height="375" /> प्राथमिक मध्य विद्यालय नामकुम के स्कूल के बेंच की तस्वीर[/caption]
9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के बेंच की सफाई कर दी गई है
जिला स्कूल की प्राचार्य ने बताया कि कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के बेंच की सफाई कर दी गई है. और सैनिटाइज का छिड़काव भी कर दिया गया है. लेकिन कक्षा 1 से लेकर 8 वीं तक के बेंचो पर धूल जमी हुई है. उम्मीद जताई जा रही है कि अब, जब स्कूल 23 महीने बाद खुले हैं, तो जल्द कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक की कक्षाओं के बेंच भी साफ हो जाएंगे. इससे पहले कक्षा 6 से 12 तक की कक्षाएं सरकार द्वारा खोली गई थी, जो एक महीना से बंद पड़ी है. जिसे दोबारा खोलने को लेकर हरी झंडी दे दी गयी है.स्कूल खुलने से स्कूल का माहौल भी बदलेगा
वहीं जिला स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि ऑनलाइन कक्षाएं अब भी सुचारू रूप से चल रही हैं. बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ रहे हैं. हालांकि उनमें स्कूल खुलने को लेकर काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा है. बच्चे भी एक दूसरे से मिलना चाहते हैं. स्कूल का हॉस्टल पूरी तरह से सुनसान पड़ा है. जिसमें कुछ गिने-चुने विद्यार्थी रह रहे हैं. उम्मीद है कि स्कूल खुलने से स्कूल का माहौल भी बदलेगा और स्कूल में पठन-पाठन का कार्यक्रम तेजी से चलेगा. जिससे बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास को बल मिलेगा. [caption id="attachment_234037" align="aligncenter" width="750"]alt="" width="750" height="375" /> दीपा चौधरी, जिला स्कूल की प्राचार्य[/caption]
स्कूल के बेंच -डेस्क जल्द हो जायेंगे साफ : प्राचार्य
रांची जिला स्कूल की प्राचार्य दीपा चौधरी ने बताया कि स्कूल खोलने की खबर अखबारों के माध्यम से हम तक भी पहुंची है. हालांकि अब तक विभागीय पत्र स्कूल को नहीं मिल पाया है. जिसके कारण स्कूल में बच्चे नहीं पहुंच पाये हैं. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि 4 फरवरी से स्कूल में बच्चे पहुंचेंगे और पढ़ाई पहले की तरह सुचारू ढंग से होगी. वहीं कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के बेंच की सफाई जल्द कर ली जाएगी. [caption id="attachment_234038" align="aligncenter" width="750"]alt="" width="750" height="375" /> ऑनलाइन कक्षाएं लेती हुई जिला स्कूल की शिक्षिका संगीता एक्का[/caption]
ऑनलाइन की कक्षाओं में बच्चे पूरी तरह से नहीं जुड़ पा रहे : संगीता एक्का
जीव विज्ञान की शिक्षिका संगीता एक्का ने बताया कि ऑनलाइन की कक्षाओं में बच्चे पूरी तरह से नहीं जुड़ पा रहे हैं. इसका मुख्य कारण संसाधन की कमी है. हम शिक्षा तो दे रहे हैं पर बच्चों पर इसका कितना प्रभाव पड़ रहा, यह स्कूल खोलने के बाद ही पता चल पाएगा. क्योंकि सरकारी स्कूल के बच्चे अधिकांश गरीब होते हैं और वह स्कूल बंद होने की स्थिति में रोजी- रोटी की जुगाड़ में लग जाते हैं. स्कूल खोलने से बच्चों को पूरी शिक्षा मिलेगी और वह मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं बेहतर ढंग से दे पाएंगे.क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
मैट्रिक की परीक्षाओं के प्रश्न आसान हों : धर्मेंद्र
दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले धर्मेंद्र उरांव ने बताया कि इस बार मैट्रिक की परीक्षा वह देने वाला है. हालांकि उसकी तैयारी अधूरी है. उसने अपील की है कि इस बार मैट्रिक की परीक्षाओं के प्रश्न आसान हों. क्योंकि ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से उन्हें कई सारी चीजों का ज्ञान नहीं हो पाया है. [caption id="attachment_234040" align="aligncenter" width="750"]alt="" width="750" height="375" /> धर्मेंद्र उरांव, दसवीं कक्षा का छात्र[/caption]
बच्चों पर परीक्षा का प्रेशर ना हो : अभिषेक
दसवीं कक्षा के छात्र अभिषेक कुमार मुंडा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास के माध्यम से मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री के विषय का ज्ञान नहीं हो पाता है. हिंदी, इंग्लिश, भूगोल, संस्कृत जैसे विषय का नोट समय पर मोबाइल के माध्यम से मिलता है. लेकिन हम उसे पूरी तरह से नहीं समझ पाते हैं. हम अपील करते हैं कि इस बार प्रश्न औसत से कम हो. बच्चों पर परीक्षा का प्रेशर ना हो. [caption id="attachment_234041" align="aligncenter" width="750"]alt="" width="750" height="375" /> अभिषेक कुमार मुंडा, दसवीं कक्षा का छात्र[/caption] इसे भी पढ़ें- कांग्रेस">https://lagatar.in/janata-darbar-in-congress-state-office-every-saturday-ministers-will-visit-six-districts-in-a-week/">कांग्रेस
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