Surjit Singh
भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 23 मई की रात 7.10 बजे एक ट्विट किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा तो कभी भी उनके ट्विट को गंभीरता से लेती नहीं है. लेकिन अगर सच में विरोधी दलों की सरकारों ने ट्विट में कही उनकी बातों को सलाह के रुप में मान लिया. और वह कर दिया, जो सुब्रमण्यम स्वामी कह रहे हैं, तो यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिये बड़ी मुसिबत बन जायेगी. राजनीतिक रुप से मोदी सरकार की परेशानी बढ़ जायेगी.
सुब्रमण्य स्वामी ने ट्विट में लिखा हैः Let Modi government be forewarned that all non BJP states frustrated in not getting adequate supply of vaccines may band together and directly negotiate for bulk orders abroad and send the Bill to the Centre. Modi Govt cannot politically afford to refuse to pay up.
हिन्दी में इस ट्विट का क्या अर्थ निकलता है. वह यह कि “मोदी सरकार को मैं पहले से आगाह कर दूं कि, सभी गैर भाजपा शासित राज्य की सरकारें, यदि उन्हें पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं मिली तो, वे सीधे कंपनियों से थोक में टीके खरीद लेंगी और उनका बिल भारत सरकार को भेज देंगी. भारत सरकार बिल का भुगतान करने से राजनीतिक रूप से मना नहीं कर सकती है.”
सुब्रमण्यम स्वामी के इस सलाह को अगर सच में राज्यों की सरकारों ने मान लिया तो क्या होगा. यह समझने के लिए पहले कुछ तथ्यों को समझना जरुरी होगा.
मोदी सरकार ने इस साल के बजट में टीके के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.
वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनियां केंद्र सरकार को सिर्फ 150 रूपये में टीके दे रही है.
अगर राज्यों की सरकार उसी टीके को खरीदती है, वैक्सीन 300 रूपये से 450 रूपये पड़ेंगे. मतलब दो से तीन गुणा अधिक.
कई राज्यों ने विदेशी वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले. पिछले दिनों राजस्थान सरकार के टेंडर में कुछ कंपनियों ने हिस्सा लिया. लेकिन जो रेट कोट किये हैं, वह तीन से चार गुणा ज्यादा हैं.
अब अगर राज्य सरकार टीके खरीदती हैं, तो उन्हें केंद्र से दो से तीन गुणा अधिक कीमत चुकाने पड़ेंगे. बिना भुगतान किये राज्यों को टीके मिलेंगे नहीं. मान लीजिये कि किसी राज्य सरकार ने 1000 करोड़ रुपये खर्च कर टीके खरीदे. और उसका बिल केंद्र सरकार को भेज दिया. और केंद्र सरकार ने बिल का भुगतान करने से इंकार कर दिया. तब क्या होगा. तब मोदी सरकार पर यह आरोप लगेंगे कि उन्हें राज्य की जनता की जान से मतलब नहीं. राज्यों के साथ बेईमानी कर रहे हैं. 35 हजार करोड़ कहां खर्च हुआ, यह बताया जाये. वगैरह-वगैरह. ये सारे आरोप राजनीतिक रुप से केंद्र सरकार व मोदी की छवि को खराब करेंगे.
अब मान लीजिये कि राज्यों की सरकारों ने केंद्र को बिल भेजा और केंद्र सरकार ने भुगतान कर दिया. तब केंद्र सरकार को ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे.
स्वामी जी का ये सुझाव बहुत ही उम्दा है.