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राज्य का पहला येलो फीवर वैक्सीनेशन केंद्र रिम्स में बनेगा

येलो फीवर
  • तैयारी: आज निरीक्षण के लिए पहुंचेगी टीम, जल्द ही होने लगेगा
  • एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है पीत ज्वर
  • यह रोग पीड़ित के पूरे शरीर को करता है प्रभावित
Sourav Shukla Ranchi: येलो फीवर के वैक्सीनेशन के लिए राज्य के लोगों को अभी पटना या फिर कोलकाता जाना पड़ता है. बहुत जल्द ही यह वैक्सीन रिम्स में मिलने लगेगा. बुधवार को एक टीम रिम्स का निरीक्षण करने पहुंचेगी. टीम से सर्टिफिकेट मिलते ही येलो फीवर वैक्सीनेशन की शुरुआत हो जाएगी. बता दें कि एक खास प्रजाति के मच्छर से येलो फीवर यानी पीत ज्वर फैलता है. भारत से विदेश (खासकर अफ्रीका और साउथ अमेरिका) जैसे देशों में जाने से पहले इसके वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है. क्योंकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है. बिना इस वैक्सीन को लिए जाने पर लोगों को इंफेक्शन का बड़ा खतरा रहता है.

पीएसएम विभाग में कमरे का आवंटन

रिम्स के निदेशक डॉ. आरके गुप्ता ने कहा कि बुधवार को येलो फीवर वैक्सीनेशन की शुरुआत के लिए टीम निरीक्षण के लिए पहुंच रही है. रिम्स के पीएसएम विभाग में दो कमरे का आवंटन किया गया है. येलो फीवर वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट विदेशों में मांगा जाता है. ऐसे में राज्य के लोगों को वैक्सीनेशन में सहूलियत होगी.

क्या है येलो फीवर

येलो फीवर वायरस द्वारा उत्पन्न होने वाला एक तीव्र हैमरैजिक रोग है, जो मनुष्यों में संक्रमित मच्छर के काटने से होता है. रोग के नाम में येलो शब्द पीलिया की ओर संकेत करता है, जो कुछ रोगियों को प्रभावित करता है. यह ऐसा रोग है जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है.

येलो फीवर का इलाज

येलो फीवर से करीब 50 प्रतिशत लोग मर जाते हैं. लेकिन इसके वेक्सीनेशन की मदद से पूरी तरह बचा जा सकता है. येलो फीवर के संक्रमण से बुखार, सर दर्द और उलटी (मितली) जैसे लक्षण पैदा होते हैं. गंभीर स्थितियों में यह ह्रदय, लिवर और किडनी से सम्बंधित जानलेवा लक्षण पैदा कर सकते हैं. [wpse_comments_template]  

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