Vinit Abha Upadhyay
Ranchi/ Kolkata : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
(NGT) इस्टर्न जोन कोलकाता ने डायरेक्टर जनरल नेशनल मिशन क्लीन गंगा नई दिल्ली, झारखंड के खान-निदेशक, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण
पर्षद के सचिव, साहिबगंज के डीसी समेत अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया
है. इसके साथ ही
एनजीटी ने मेसर्स जीके इंटरप्राइजेज
मालदा और मेसर्स मां तारा कंस्ट्रक्शन कंपनी मुजफ्फरपुर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया
है. एनजीटी ने कहा है कि डीसी, वरिष्ठ वैज्ञानिक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली व वरिष्ठ वैज्ञानिक झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तीन सदस्यीय
कमिटी गठित कर याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच करें और घटनास्थल का निरीक्षण कर तीन सप्ताह के भीतर ट्रिब्यूनल को जांच रिपोर्ट
दें. जांच
कमिटी की नोडल एजेंसी झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण
पर्षद को बनाया गया
है. एनजीटी अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को करेगा.
कंपनियों ने नियम एवं शर्तों का उल्लंघन किया
दरअसल इस वर्ष मई से जुलाई माह के बीच मेसर्स जीके इंटरप्राइजेज मालदा और मुजफ्फरपुर की मेसर्स मां तारा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा मनिहारी में गंगा नदी के पास कोशी तटबंध की सुरक्षा व बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य के लिए नाव से स्टोन बोल्डर की ढुलाई साहिबगंज जिले के गंगा नदी से की गयी थी. दोनों कंपनी को कई नियम शर्तों का पालन करना था और अनापत्ति प्रमाणपत्र भी लेना था. लेकिन दोनों ही कंपनियों ने नियम एवं शर्तों का उल्लंघन करते हुए जिले से स्टोन बोल्डर की आपूर्ति कटिहार की थी. जिसके बाद इस पूरे मामले को लेकर साहिबगंज के रहने वाले अरशद ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था. उनकी याचिका पर ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य जस्टिस बी अमित स्थालेकर और एक्सपर्ट मेंबर डॉ अरुण कुमार वर्मा की बेंच में सुनवाई हुई.