Dhanbad: उपायुक्त उमा शंकर सिंह ने गोविंदपुर के बीडीओ तथा एमओआईसी को बरवाअड्डा स्थित सनराइज नर्सिंग होम में जांच कर 15 मई तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. मामला मरीज के इलाज के बदले निर्धारित फीस से ज्यादा वसूलने का है. इस संबंध में उपायुक्त ने बताया कि वैश्विक महामारी की दूसरी घातक लहर में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सनराइज नर्सिंग होम बरवाअड्डा सहित अन्य निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के उपचार की अनुमति प्रदान की गई है. उन्हें यह भी निर्देशित किया गया है कि स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड, रांची के निर्देश के अनुसार तथा कोविड ट्रिटमेंट प्रोटोकॉल के अंतर्गत उपचार कर निर्धारित राशि मरीजों से लेंगे. लेकिन सनराइज नर्सिंग होम ने उपरोक्त आदेश का न केवल उल्लंघन किया है. बल्कि सरकार द्वारा ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के लिए निर्धारित 8000 हजार रुपये लेने के बजाय मरीज से प्रतिदिन 15000 हजार रुपये लिए जा रहे हैं.
कोविड के इलाज का निर्धारित किया गया थी फीस
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने रांची, पूर्वी सिंहभूम, धनबाद तथा बोकारो में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए निजी अस्पतालों के लिए राशि निर्धारित की है. सभी निजी अस्पतालों को उसी निर्धारित दर के अनुसार राशि लेने का स्पष्ट निर्देश भी दिया है. लेकिन सनराइज नर्सिंग होम, जिसकी शिकायत जिला प्रशासन एवं स्टेट हेल्पलाइन नंबर 104 को भी बार बार मिल रही थी. जिसके आलोक में आज गोविंदपुर के बीडीओ तथा एमओआईसी को उपरोक्त नर्सिंग होम में जाकर विस्तृत जांच की और 15 मई तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
पारदर्शी सिस्टम से कोविड का इलाज करने का था निर्देश
आपको बता दे कि एनएबीएच ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड 8,000 हजार नॉन एनएबीएच 7,500 सौ बिना वेंटीलेटर के आईसीयू में एनएबीएच 10,000 हजार नॉन एनएबीएच 9,000 हजार वेंटिलेटर आईसीयू एनएबीएच 12,000, हजार नॉन एनएबीएच 11,500 हजार रुपये निर्धारित की गई है. 13 मई को उपायुक्त ने जिले के विभिन्न निजी अस्पताल प्रबंधकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर मरीजों के शोषण का जरिया न बनने की हिदायत दी थी. सभी को पारदर्शी सिस्टम के तहत कोविड ट्रिटमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज करने, मरीजों से सरकार द्वारा तय रेट ही चार्ज करने का स्पष्ट निर्देश दिया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि लोग जागरूक है. वर्तमान समय में अस्पताल सबकी नजरों में है. किसी की भी गलत हरकत शीघ्र संज्ञान में आ जाती है. सरकारी रेट से अधिक रकम लेने से उनकी प्रतिष्ठा पर बट्टा लग सकता है. कार्रवाई में उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.