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Electoral bond पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी, कलकत्ता की कंपनी ने छापे के डर से 40 करोड़ चंदा दिया! प्रशांत भूषण ने डाली है याचिका

NewDelhi : चुनावी बांड फिर चर्चा में है. राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के जरिए चंदा जुटाने की इजाजत देने वाले कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी. बता दें कि वकील प्रशांत भूषण ने SC से कहा कि कलकत्ता की एक कंपनी ने चुनावी बांड के जरिए 40 करोड़ रुपये का भुगतान किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उस पर कोई रेड न हो. कहा कि यह लोकतंत्र पर धब्बा है. जानकारी के अनुसार प्रशांत भूषण के दावे पर CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी व जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने संज्ञान लिया.

प्रशांत भूषण  कोर्ट के समक्ष मामले को गंभीर करार दिया

प्रशांत भूषण याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पैरवी कर रहे थे. कोर्ट के समक्ष मामले को गंभीर करार देते हुए अर्जेंट सुनवाई की मांग की. सीजेआई ने उनकी याचिका सुनवाई के लिए जल्दी सूचीबद्ध करने का भी आश्वासन दिया. हालांकि पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने को लिए इनकार कर दिया था. लेकिन मंगलवार को सीजेआई की बेंच इस पर सुनवाई के लिए सहमत हो गयी. इसे भी पढ़ें : भाजपा">https://lagatar.in/bjps-42nd-foundation-day-today-pm-modi-will-hoist-the-flag-mps-mlas-will-wear-saffron-caps/">भाजपा

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पूर्व में  SC से जनहित याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग हुई थी

खबर है कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तब तैयार हुआ, जब वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकारी एजेंसियों की रेड से बचने के लिए कलकत्ता की एक कंपनी ने चुनावी बांड के जरिए 40 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. जान लें कि प्रशांत भूषण ने पिछले साल 4 अक्तूबर को SC से जनहित याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी. इसमें केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित एक मामले के लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की बिक्री शुरू न करें, क्योंकि उनके खातों में पारदर्शिता नहीं है. एनजीओ ने याचिका में आरोप लगाया था कि 2017-18 और 2018-19 की अपनी ऑडिट रिपोर्ट में राजनीतिक दलों द्वारा घोषित चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार, सत्तारूढ़ दल को अब तक जारी किये गये कुल चुनावी बांड का 60 फीसदी से अधिक प्राप्त हुआ.यह भी दावा किया गया कि अब तक 6,500 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बांड बेचे जा चुके हैं. इसे भी पढ़ें : NCP">https://lagatar.in/dinner-at-ncp-chief-sharad-pawars-house-nitin-gadkari-sanjay-raut-maharashtra-mlas-mps-attend-dinner-at-ncp-chief-sharad-pawars-house-nitin-gadkari-sanjay-raut-maharashtra-mlas-mps-arrive/">NCP

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चुनावी बांड ने  गुमनाम चंदे के द्वार खोल दिये हैं

याचिका में कहा गया है कि चुनावी बांड योजना ने राजनीतिक दलों को असीमित कॉर्पोरेट चंदे और भारतीय और विदेशी कंपनियों द्वारा गुमनाम चंदे के द्वार खोल दिये हैं. इसका भारतीय लोकतंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.यह भी दावा किया गया है कि चुनाव आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक ने 2017 में चुनावी बांड जारी करने पर आपत्ति जताई थी.यह भी आरोप लगाया गया है कि 99 फीसदी बांड एक करोड़ से लेकर 10 लाख रुपये मूल्य के हैं.इससे साबित होता है कि ये नागरिकों द्वारा दिया गया चंदा नहीं है, बल्कि बड़ी कंपनियों द्वारा और बदले में सरकार से लाभ पाने की दृष्टि से दिया गया है. गत वर्ष 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 2018 की चुनावी बांड योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था. [wpse_comments_template]

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