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आठ अक्तूबर तक सारंडा को सेंक्चुरी घोषित नहीं किया तो मुख्य सचिव को जेल जाना होगा : सुप्रीम कोर्ट

Ranchi : सारंडा वन क्षेत्र को सेंक्चुरी (Sanctuary) घोषित करने में राज्य सरकार द्वारा की जा रही आना कानी को सुप्रीम कोर्ट ने आपने आदेश का अवमानना माना है. साथ ही यह भी कहा कि आठ अक्तूबर तक संक्चुरी नहीं घोषित नहीं होने पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की जायेगी. मुख्य सचिव को जेल जाना होगा और न्यायालय सेंक्चुरी घोषित करने के लिए परम आदेश (Mandamus) पारित करेगा.
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प्रस्तावित सारंडा सेक्चुरी की तस्वीर.

सारंडा वन क्षेत्र को सेंक्चुरी घोषित करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ में 17 सितंबर को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान Amicus Curia परमेश्वर गवे ने सारंडा को सेंक्चुरी घोषित करने के मामले में झारखंड सरकार द्वारा की जा रही रही टाल मटोल और आना कानी की जानकारी दी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 29 अप्रैल 2025 को वन सचिव अबुबकर सिद्दीकी के माध्यम से राज्य सरकार ने शपथ पत्र दायर किया था. इसमें यह कहा गया था कि PCCF (Wild) ने 576 वर्ग किलोमीटर को Sanctuary घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर Wildlife Institute of India (WII) को भेजा है. 
WII की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले को कैबिनेट में पेश किया जायेगा. कैबिनेट की सहमति के बाद सारंडा को Sanctuary घोषित कर दिया जायेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार के शपथ पत्र में दिये गये प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए WII की रिपोर्ट आने के दो महीने के अंदर सारंडा को Sanctuary घोषित करने का आदेश दिया था.
WII ने 30 जून 2025 को अपनी रिपोर्ट दे दी है. इसमें राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सहमति दी गयी है. WII की रिपोर्ट मिले हुए दो महीना से अधिक हो गया है. लेकिन सरकार ने सारंडा के सेंक्चुरी घोषित नहीं किया है.
कोर्ट के आदेश के उलट मुख्य सचिव ने CCF स्तर के अधिकारी और खान निदेशक को मिला कर एक समिति बना दी है. यह समिति सारंडा को सेंक्चुरी घोषित करने के मामले नये सिरे से विचार कर रही है.
सरकार का मानना है कि NGT द्वारा दिये गये आदेश से अधिक क्षेत्रफल को सेंक्चुरी घोषित करने पर खनन क्षेत्र प्रभावित होगा. राज्य सरकार ने NGT के फैसले से अधिक क्षेत्रफल को सेंक्चुरी घोषित करने का शपथ पत्र दिया था.
Amicus Curia की बात सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार सेंक्चुरी घोषित करने के मामले में टाल मटोल और आनाकानी कर रही है. फाइल एक अफसर से दूसरे अफसर के पास भेजी जा रही है. सरकार कोर्ट में दायर अपने ही शपथ पत्र में किये गये वायदों को पूरा नहीं कर रही है.
कोर्ट द्वारा WII की रिपोर्ट मिलने के दो महीने के अंदर सारंडा को सेंक्चुरी घोषित करने के आदेश को नहीं माना है. यह न्यायालय की अवमानना है. इस मामले में सरकार शपथ पत्र दायर कर जवाब दे. मुख्य सचिव आठ अक्तूबर को कोर्ट में उपस्थित रहें. सरकार आठ अक्तूबर तक सेंक्चुरी घोषित करे, वरना अवमानना की कार्रवाई शुरू होगी. मुख्य सचिव को जेल जाना होगा.

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