New Delhi : सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज सोमवार को एक विवाहित महिला को उसके 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिये जाने की खबर है. उसका भ्रूण स्वस्थ बताया गया है. एम्स के मेडिकल बोर्ड को उसमें कोई विसंगति नहीं नजर आयी.
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SC rejects woman’s plea seeking termination of 26-week pregnancy
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— ANI Digital (@ani_digital) October 16, 2023
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया निर्णय
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिला दो बच्चों की मां है. उसका गर्भकाल 24 सप्ताह से अधिक समय का हो गया है. यह चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति की अधिकतम सीमा है और इसके बाद गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रूण 26 सप्ताह पांच दिन का है और महिला के लिए तत्काल कोई जोखिम नहीं है. कहा कि भ्रूण में कोई विसंगति नजर नहीं आयी. पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे.
महिला की डिलीवरी एम्स में सरकारी खर्च पर होगी
पीठ ने कहा कि महिला की डिलीवरी एम्स में सरकारी खर्च पर होगी. जन्म के बाद माता-पिता को ही आखिरी फैसला लेना होगा कि वह बच्चे को लालन-पालन करना चाहते हैं या फिर किसी को गोद देना चाहते हैं. इसमें सरकार हरसंभव मदद करेगी.
गर्भावस्था 24 सप्ताह की अवधि को पार कर गयी है
पीठ ने कहा, गर्भावस्था 24 सप्ताह की अवधि को पार कर गयी है और लगभग 26 सप्ताह पांच दिन की है. चिकित्सकीय गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती. इससे पहले SC ने आज कहा था कि गर्भपात कानून को दी गयी चुनौती का निस्तारण अलग कार्यवाही में किया जायेगा. वर्तमान मामला याचिकाकर्ता और राज्य के बीच सीमित रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पूर्व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिकल बोर्ड से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी कि क्या भ्रूण में किसी तरह की विसंगति है? पीठ केंद्र सरकार की अर्जी पर दलीलें सुन रही थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के नौ अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गयी थी.
नौ अक्टूबर को महिला को गर्भपात कराने की अनुमति दी गयी थी
नौ अक्टूबर के आदेश में 27 वर्षीय महिला को एम्स में गर्भपात कराने की अनुमति दी गयी थी, क्योंकि वह दूसरे बच्चे के जन्म के बाद प्रसवोत्तर मनोविकृति से जूझ रही थी. चिकित्सकीय गर्भपात कानून के तहत, विवाहित महिलाओं, बलात्कार पीड़ितों समेत विशेष श्रेणियों और दिव्यांग तथा नाबालिगों जैसी अन्य कमजोर महिलाओं के लिए गर्भ को समाप्त करने की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह है.