उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह चयन समिति से सीजेआई को बाहर रखने वाले 2023 के कानून पर अंतरिम आदेश के जरिए रोक नहीं लगा सकता. सुनवाई 21 मार्च तक स्थगित
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के उस कानून के तहत नये निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें भारत के सीजेआई को चयन समिति से बाहर रखा गया है. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह चयन समिति से सीजेआई को बाहर रखने वाले 2023 के कानून पर अंतरिम आदेश के जरिए रोक नहीं लगा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने 2023 के कानून के तहत दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 21 मार्च तक स्थगित कर दी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
Supreme Court lists for hearing on March 21 pleas challenging the Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners Act, 2023, which dropped the Chief Justice of India from the selection panel of Election Commissioners.
Supreme Court also allows petitioners to file… pic.twitter.com/qvOnKHVAmt
— ANI (@ANI) March 15, 2024
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से अलग से एक याचिका दायर करने को कहा
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि निर्वाचन आयुक्तों के चयन के लिए बैठक पहले से प्रस्तावित थी. इस पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से इस तथ्य का उल्लेख करते हुए अलग से एक याचिका दायर करने को कहा. पीठ ने 2023 के कानून के अनुसार की गयी नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा, सामान्यत: और आम तौर पर, हम अंतरिम आदेश के जरिए किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं. उसने 2023 के कानून के तहत दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी.
ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया
याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि जब कोई फैसला पारित किया जाता है तो उसका उल्लंघन नहीं हो सकता. उन्होंने दलील दी कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा और कार्यकाल की शर्तें) अधिनियम, 2023 का साफ तौर पर उल्लंघन हुआ. केंद्र सरकार ने गुरुवार को ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था. नए कानून के तहत हुई इन नियुक्तियों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.