Patna: बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी को लेकर फटकार लगाई. दरअसल शराबबंदी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की खातिर बुनियादी ढांचा तैयार करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. कहा कि जब तक बुनियादी ढांचा नहीं बन जाता, तब तक के लिए सभी आरोपियों को जमानत क्यों न दे दी जाए. जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 2016 में बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम बनाया गया था. राज्य सरकार ने विशेष अदालतों के गठन के लिए अबतक जमीन का आवंटन तक नहीं किया है.
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बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते का दिया समय
अधिनियम की एक धारा का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि जहां तक शराब के सेवन के लिए जुर्माना लगाने का प्रावधान है, यह ठीक है, लेकिन इसका संबंध कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्तों को सजा देने की शक्ति से है. इस मामले में एमिकस क्यूरी एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को शक्तियां प्रदान करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है. इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील को इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि मामले में क्या किया जा सकता है.
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