New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूरा हिमालयी क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के गंभीर खतरे को झेल रहा है इस साल आपदाएं विशेष रूप से हिंसक हो रही हैं. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी स्वतः संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राजस्व के लालच में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद नहीं किया तो हिमाचल प्रदेश एक दिन नक्शे से गायब हो जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट 23 सितंबर को फैसला सुनायेगा
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह समस्या सिर्फ हिमाचल प्रदेश तक सीमित नहीं है. पूरा हिमालयी क्षेत्र इसकी जद में है. जस्टिस मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत में अभी सुनवाई चल रही है, उधर प्रदेश में भयावह प्राकृतिक घटना घटी है.
हिमाचल राज्य सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लेशियर का 1/5 यानी पांचवा हिस्सा पिघल गया है. इस कारण नदियों की प्रवाह प्रणालियां प्रभावित हुई हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण भी प्रदेश में पहाड़ों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.
इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि यदि मौजूदा हालात पर नियंत्रण नहीं किया गया क तो एक दिन हिमाचल नक्शे से गायब हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी थी. सरकार को अब तक किये गये काम और भविष्य की योजनाओं का ब्यौरा देने को कहा गया था. कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्या सरकार ने रिपोर्ट दाखिल कर दी है.
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