Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ चल रहे कंटेम्प्ट पीटिशन के फैसले पर रोक लगायी

Shakeel Akhter

Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ दायर कंटेम्प्ट पीटिशन के फैसले पर रोक लगा दी है. यह रोक राज्य सरकार द्वारा दायर एलपीए पर फैसला होने तक जारी रहेगा. गोस्नर कॉलेज के रिटायर्ड रीडर जीतेंद्र प्रसाद सिन्हा ने हाईकोर्ट द्वारा उन्हें रीडर का वेतनमान और सेवानिवृति लाभ देने का आदेश का अनुपालन नहीं होने पर कंटेम्प्ट पीटिशन दायर किया है. वेतन भत्ते की यह कानूनी लड़ाई पिछले 12 वर्ष से जारी है.

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट द्वारा उसके एलपीए को रद्द करने को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट द्वारा जीतेंद्र कुमार के पक्ष में दिये गये फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने 326 दिनों बाद एलपीए दायर की थी. एलपीए दायर करने में हुई देर की वजह से हाईकोर्ट ने सरकार के एलपीए को खारिज कर दिया था. इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया. इसमें यह कहा गया कि हाईकोर्ट ने सरकार का एलपीए खारिज कर दिया है. इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में जीतेंद्र प्रसाद को रीडर का रिवाईज्ड वेतनमान के अंतर की राशि और सेवानिवृति लाभ नहीं देने के मामले में कंटेम्प्ट पीटिशन की सुनवाई चल रही है. 

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद कंटेम्प्ट के फैसले पर रोक लगा दी. साथ हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार के एलपीए को रद्द करने के आदेश को रद्द करते हुए एलपीए पर सुनवाई का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार ने एलपीए दायर करने में हुई देर का संतोषप्रद कारण बताया है.

क्या है पूरा मामला

  • जीतेंद्र प्रसाद सिन्हा वर्ष 1979 में गोस्नर कॉलेज में व्याख्याता के पद पर नियुक्त हुए.
  • बिहार सर्विस कमीशन ने वर्ष 2019 में उन्हें रीडर के पद पर प्रमोट किया.
  • विश्वविद्यालय द्वारा वेतन जारी नहीं करने की वजह से उन्होंने वर्ष 1992 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
  • हाई कोर्ट ने अगस्त 1999 में फैसला सुनाया. 1987 से स्वीकृत पद पर सरकार से वेतन पाने का अधिकार दिया.
  • कॉलेज की ओर से कॉलेज के सैलरी बिल में रीडर को रूप में उनका नाम जोड़ने का अनुरोध किया गया. 
  • उच्च शिक्षा निदेशक ने 2008 में कॉलेज के सैलरी बिल में जीतेंद्र प्रसाद का नाम रीडर के रूप में जोड़ा.
  • वर्ष 1987- 2007 तक के वेतन बकाया के लिए 82.79 लाख रुपये कॉलेज को दिया.
  • जनवरी 2006 में छठे यूजीसी के अनुरूप वेतन निर्धारण किया गया.
  • उच्च शिक्षा ने इस वेतन निर्धारण को स्वीकृत किया.
  • उच्च शिक्षा ने इसकी सूचना 2012 में रांची विश्वविद्यालय को दी.
  • 2012 में व्याख्याता के रूप में उनका वेतन निर्धारण कर दिया.
  • जीतेंद्र प्रसाद ने विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई का विरोध किया
  • 30 जून 2012 को वह रिटायर हो गये.
  • 2014 में रीडर के रिवाईज्ड वेतनमान के अनुरूप बकाया और सेवानिवृति लाभ के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
  • हाईकोर्ट ने अप्रैल 2022 में फैसला सुनाया.
  • न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी ने जीतेंद्र प्रसाद को रीडर का वेतनमान, बकाया सहित अन्य सुविधाएं देने के लिए छह महीने का समय निर्धारित किया.
  • निर्धारित समय में हाईकोर्ट का फैसले पर अमल नहीं की वजह से जीतेंद्र प्रसाद ने दिसबर 2022 में कंटेम्प्ट पीटिशन दायर किया.
  • राज्य सरकार ने 2023 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एलपीए दायर किया.
  • हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में एलपीए खारिज कर दिया.
  • राज्य सरकार ने 2025 में सुप्रीमकोर्ट में एसएलपी दायर किया.