Lagatar Desk
Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें यह कहा गया था कि किसी माइनर लड़की के पजामे का नाड़ा तोड़ना, सीने को पकड़ना और खींच कर पुलिया के नीचे ले जाने की कोशिश करना दुष्कर्म के दायरे में नहीं आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के अपराध के अंतर्गत नहीं आएगा।
न्यायमूर्ति BR गवई की… pic.twitter.com/IBQcqvTBUy
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 26, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हाईकोर्ट में सुनवाई से संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश का व्यापक स्तर पर विरोध किया गया. आम नागरिकों ने इस फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपनी आवाज बुलंद की.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले पर सुनवाई की. न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश एजी मसीह ने सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि विवादित फैसले के पैरा 21, 24 और 26 में की गयी टिप्पणियों में लेखक की ओर से संवेदनशीलता की पूरी कमी पायी गयी.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट ने संबंधित मामले में तत्काल फैसला नहीं सुनाया था. करीब चार महीने तक सुरक्षित रखने के बाद फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में कुछ टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण रखती हैं. इसलिए इन टिप्पणियों पर रोक लगाना मजबूरी हैं.
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