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सुप्रीम कोर्ट ने कंटेम्प्ट के दोषी फॉरेस्ट अफसरों के खिलाफ सजा सुनाने पर रोक लगायी

Ranchi : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के दो आइएफएस अफसरों के खिलाफ कंटेम्प्ट के मामले में सजा सुनाने पर रोक लगा दी है. साथ ही विवादित वन भूमि पर यथा स्थिति बहाल रखने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह बाद इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा बोकारो के डीएफओ रजनीश कुमार और आरसीसीएफ डी वेंक्टेश्वरला को कंटेम्प्ट के मामले में दोषी करार देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में  शुक्रवार को न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ में इस याचिका की सुनवाई हुई.
न्यायालय ने सुनवाई के बाद हाइकोर्ट द्वारा दोनो आइएफएस को कंटेम्प्ट के मामले में सजा सुनाने पर रोक लगा दी. न्यायालय ने बोकारो की तेतुलिया स्थित 74.38 एकड़ जमीन पर यथा स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया. साथ ही अगली तिथि पर जमीन के वनभूमि होने से संबंधित दस्तावेज के साथ सक्षम पदाधिकारियों की ओर से आवश्यक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया.
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने दो आइएफएस अधिकारियों को कंटेम्प्ट के मामले में दोषी करार दिया था. यह पहला मौका है जब दो आइएफएस अफसरों को कांटेम्प्ट के मामले में दोषी पाया गया है. मामला बोकारो के तेतुलिया स्थित जमीन से संबंधित है. हाईकोर्ट ने जमीन के मामले में उमायुष मल्टीकॉम द्वारा दायर याचिका पर उसके पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन डीएफओ बोकारो रजनीश कुमार ने संबंधित जमीन पर काम रोकने से संबंधित आदेश जारी किया था. उमायुष ने डीएफओ के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट ने कंटेम्प्ट पिटीशन दायर किया था. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीएफओ को अपना आदेश वापस लेने का निर्देश दिया. लेकिन डीएफओ ने आरसीसीएफ द्वारा जारी किये गये पत्र के आधार पर हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर अपना आदेश वापस लेने में असमर्थतता जतायी.  इसके बाद हाईकोर्ट ने आरसीसीएफ को भी  कंटेम्प्ट में प्रतिवादी बनाया. कोर्ट में सुनवाई पूरी करने के बाद दोनों को कंटेम्प्ट का दोषी करार दिया. लेकिन हाईकोर्ट ने  दंड पर आठ सप्ताह बाद फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की. इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में अपील दायर की.

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