NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि देश में कोई भी नागरिक भूख से नहीं मरना चाहिए. कहा कि अगर ऐसा होता है तो फिर यह सर्वाधिक चिंता वाली बात है. जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह बात प्रवासी मजदूरों के कल्याण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कही. खबर है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
सरकार सुझाव दे कि प्रवासी मजदूरों को राशन और कार्ड दोनों कैसे समय पर मिले
कहा गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बावजूद लोग अभी भी भूख से मर रहे हैं. SC ने कहा कि सरकार सुझाव दे कि प्रवासी मजदूरों को राशन और कार्ड दोनों कैसे समय पर मिले. केंद्र और राज्य सरकारों को नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव उपाय करना चाहिए. इस क्रम में SC ने कहा कि पीड़ित नागरिक राहत के लिए सरकार तक नहीं पहुंच पा रहा है तो सरकार को अपनी योजनाओं का फायदा पहुंचाने के लिए नागरिकों तक पहुंचना चाहिए.
गांवों में लोग अभी भी पेट पर कपड़ा बांधकर पानी पीकर भूख को मारने को विवश हैं
SC ने कहा प्यासा कुएं के पास जाने में सक्षम ना हो तो कुआं ही प्यासे तक पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते हमारे देश में दो व्यक्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं- किसान और प्रवासी मजदूर. प्रवासी मजदूर देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं, उन्हें कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
ASG ऐश्वर्य भाटी ने जस्टिस शाह की बेंच को बताया कि हमने पंजीकरण के मामले में सभी कदम उठाये हैं. जस्टिस शाह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अदालत को जानकारी दी गयी थी कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बिना राशन कार्ड के हैं. भारत में कोई भी नागरिक भूख से नहीं मरना चाहिए. लेकिन नागरिक भूख से मर रहे हैं. गांवों में लोग अभी भी पेट पर कपड़ा बांधकर पानी पीकर भूख को मारने को मजबूर हैं.
10 करोड़ से अधिक लोग दायरे से बाहर हो गये
जस्टिस नागरत्ना का भी कहना था कि देश में कोई भी नागरिक भूख से नहीं मरना चाहिए. कहा कि याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सबसे ज्यादा चिंता का विषय था कि भूख से मौतें हुईं हैं. सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा बताया गया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत खाद्य सुरक्षा को फिर से निर्धारित करने के लिए कोई भी अभ्यास करने में विफल रही है. परिणामस्वरूप 10 करोड़ से अधिक लोग जिन्हें राशन कार्ड जारी किये जाने चाहिए थे, जबकि वे इसके दायरे से बाहर हो गये.
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए डेटाबेस बनाने का निर्देश दिया गया था
बेंच का कहना था कि अगर पंजीकृत लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है तो सरकार तत्काल उन्हें रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे. जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान जून 2021 में केंद्र और सभी राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों की भूख की समस्या से निपटने के लिए उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक डेटाबेस बनाने का निर्देश जारी किया था.
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