NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिना अनुमति किसी भी संपत्ति को ध्वस्त न करने का अंतरिम आदेश अगले आदेश तक बढ़ा दिया है. जान लें कि SC ने पब्लिक प्लेस पर बने मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थल को हटाने को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. बुलडोजर केस में सुनवाई करने के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं.
Hearing in Supreme Court on the matter relating to bulldozer practice | Supreme Court reserves order on the issue of framing pan-India guidelines relating to demolition drive. Supreme Court extends interim order for not demolishing any property without permission, till further… pic.twitter.com/ZR6CzQXF35
— ANI (@ANI) October 1, 2024
कोर्ट के निर्देश सभी पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों
सुनवाई के क्रम में उत्तर-प्रदेश सरकार के लिए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- मेरा सुझाव है कि रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. 10 दिन का समय देना चाहिए. मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं, यहां ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. बेंच ने कहा, कोर्ट के निर्देश सभी पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों.
सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है तो वह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती
कोर्ट ने कहा , बेशक सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण हटाने को लेकर हमने कहा है कि अगर यह सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, जल निकासी स्थल या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो हमारा स्पष्ट कहना है कि अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है तो वह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती. जस्टिस गवई ने कहा कि अगर 10 दिन का समय मिलेगा, तो लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे. इस पर मेहता ने कहा कि यह स्थानीय म्युनिसिपल नियमों से छेड़छाड़ होगी. इस तरह से अवैध निर्माण को हटाना मुश्किल हो जायेगा.
धार्मिक स्थल पब्लिक प्लेस पर हो तो उसे हटाना ही होगा
जस्टिस गवई ने कहा कि मंदिर, दरगाह या अन्य कोई दूसरा धार्मिक स्थल हो, जहां जनता की सुरक्षा की बात हो और स्थल पब्लिक प्लेस पर हो तो उसे हटाना ही होगा. कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है. जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर उल्लंघन करने वाले दो स्ट्रक्चर हैं और सिर्फ एक के खिलाफ ही कार्रवाई होती है, तो सवाल उठना लाजिमी है.
सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है
सुनवाई के क्रम में जस्टिस गवई ने साफ किया कि सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है. इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी होगा कि तोड़फोड़ के आदेश पारित होने से पहले एक सीमित समय होना चाहिए. कहा कि साल भर में 4-5 लाख डिमोलिशन की कर्रवाई होती हैं. पिछले कुछ सालों का आंकड़ा यही बताता है.
महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं लगता
जस्टिस विश्वनाथन का मानना था कि भले ही निर्माण अनधिकृत हो, लेकिन कार्र्वाई के बाद महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को सड़क पर देखना अच्छा नहीं लगता. अगर उन लोगों को समय मिले तो वे एक वैकल्पिक व्यवस्था कर लेते. इस क्रम में कोर्ट ने कहा कि फिलहाल पूरे में तोड़फोड़ पर अंतरिम रोक जारी रहेगी. सॉलीसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट में दलील दी कि मात्र 2 फीसदी के बारे में हम अखबारों में पढ़ते हैं, जिनको लेकर विवाद पैदा किया जाता है. जस्टिस गवई ने तंज कसते हुए कहा… बुलडोजर जस्टिस! जस्टिस गवई निचली अदालतों को निर्देश दिया कि अवैध निर्माण के मामले में आदेश पारित करते समय सावधान रहें.