Ranchi : झारखंड के श्रमिकों को बेहतर काम और मजदूरी दिलाने के नाम पर ठगा जाता रहा है. ऐसा ही गिरीडीह और हजारीबाग के मजदूरों के साथ हुआ, जिन्हें साबुन फैक्ट्री में काम दिलाने ले जाया गया और पहुंचा दिया गया जबरन ईंट भट्ठा कारखाने में काम करने.
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क्या है मामला
सूबे के हजारीबाग और गिरिडीह जिलों के 8 श्रमिकों को पुदुपट्टी, नमक्कल, तमिलनाडु में एक ठेकेदार द्वारा एक साबुन फैक्ट्री में काम करने के लिए 15 मार्च 2021 बुलाया गया था. लेकिन उन्हें जबरन ईंट भट्ठे, कारखाने में काम करने के लिए मजबूर किया जाता रहा . 20 मार्च 2021 को झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष, श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग में इसकी शिकायत मजदूरों ने दर्ज कराई. इसमें श्रमिकों ने काम, भोजन और रहने के मुद्दों के साथ अन्य समस्याओं को साझा किया. मजदूरों ने बताया कि काम के दैरान उन्हें अपशब्द भी कहा जाता रहा है. सभी श्रमिकों की आयु वर्ग 18-50 वर्ष के बीच है.
झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के प्रयास से हुई वापसी
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष टीम ने ठेकेदारों से संपर्क किया और सहायक श्रम आयुक्त (एसएसएस), नामक्कल, तमिलनाडु को शिकायत भेजा. कारखाना प्रबंधक प्रकाश ने बताया कि एजेंट दीपक मजदूरों को लेकर उन्होंने श्रम विनिमय के लिए 70,000 / – रुपये का भुगतान किया था. राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के कहने पर मजदूरों के परिवारों में नमक्कल पुलिस स्टेशन में भी शिकायत दर्ज की.
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के साथ शिकायत दर्ज करने पर नामक्कल, तमिलनाडु के श्रम न्यायालय एवं राजस्व अधिकारियों ने कारखाने का दिनांक 24.03.2021 को जांच कर संयुक्त निरीक्षण किया. सभी कर्मचारियों ने 8 दिनों में से केवल 6 दिन काम किया है. झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के हस्तक्षेप के बाद नियोक्ता ने तमिलनाडु सरकार के न्यूनतम मजदूरी के साथ-साथ अपने सभी मजदूरी को पूरी तरह से दे दिया. नामक्कल, तमिलनाडु के श्रम न्यायालय द्वारा ट्रेन टिकट बुक करके 27 तारीख को 8 श्रमिकों को झारखंड भेजा गया.
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