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टंडवा : एनजीटी की रोक के बाद भी फल-फूल रहा बालू का अवैध कारोबार, विभाग मौन समेत 2 खबरें

Tandwa, Chatra : टंडवा प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों एनजीटी के रोक के बाद अवैध बालू का कारोबार काफी फल-फूल रहा है. बालू के अवैध उत्खनन तथा परिवहन पर विभाग मौन है और तस्कर अपना काम कर रहे हैं. एनजीटी की ओर से सभी नदी घाटों पर 10 जून से 14 अक्तूबर तक बालू उत्खनन परिवहन पर रोक लगाया गया है. तस्कर नदियों से मुफ्त में बालू उठाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जो अवैध बालू से अपना कार्य कर रहे हैं. अवैध बालू उत्खनन से नदियों की भौगोलिक स्थिति जहां बिगड़ रही, वहीं स्थानीय ग्रामीणों के समक्ष बालू के जरूरत को लेकर संकट आना तय माना जा रहा है. आने वाले दिनों में पूरे प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भी बालू के बिना विकास बाधित होने की बात कही जा रही है. इसे भी पढ़ें :नोवामुंडी">https://lagatar.in/noamundi-mp-geeta-koda-also-participated-in-the-protest-against-mdo/">नोवामुंडी

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जमीन के अभाव में मगध के देवलगड़ा में दो माह से कोयला उत्पादन ठप

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alt="" width="600" height="360" /> 12 लाख टन कोयले का नहीं हुआ उत्पादन, पहले प्रतिदिन होता था 20 हजार टन कोयले का उत्पादन माइंस बंद होने से उत्खनन कंपनी और सीसीएल प्रबंधन को बड़ा नुकसान Vijay Sharma Tandwa: कोयले से देश को रोशन करने वाला एशिया की सबसे बड़ी कोल माइंस मगध कोल परियोजना इन दिनों जमीन की समस्याओं से जूझ रही है. मगध के देवलगड़ा माइंस पिछले दो माह से जमीन के अभाव में बंद है. वहां कोयले का उत्पादन ठप पड़ा है. प्रतिदिन यहां से 20 हजार टन कोयले का उत्पादन होता था. उत्खनन कंपनी और सीसीएल प्रबंधन को माइंस बंद होने से काफी नुकसान हो रहा है. खनन बंद होने से दो महीने में 12 लाख टन कोयले का उत्पादन नहीं हो सका है. हालांकि मगध के चमातु उत्खनन क्षेत्र से कोयले का नियमित उत्पादन जारी है. इसे भी पढ़ें :सर्वाइकल">https://lagatar.in/cervical-cancer-free-vaccine-is-the-only-diagnosis-women-legislators-will-increase-the-pressure-on-the-government/">सर्वाइकल

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लेट-लतीफी में फाइलें फांक रही धूल

सीसीएल प्रबंधन का कहना है कि रैयत भूमि का ऑथेंटिकेशन करवा कर सीसीएल प्रबंधन को सुपुर्द करें, प्रबंधन नौकरी देने के लिए हर समय तैयार है. गैरमजरूआ भूमि का सत्यापन नहीं होने की वजह से माइंस का विस्तार नहीं हो पा रहा है. सीसीएल प्रबंधन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान अब तक हो चुका है. सीसीएल प्रबंधन लाचार और बेबस दिख रहा है. वहीं भूमि के रैयत किसी भी सूरत में खनन प्रारंभ होने से पहले नौकरी ले लेना चाहते हैं. सीसीएल सूत्रों ने बताया कि भूमि ऑथेंटिकेशन का कार्य राज्य सरकार की ओर से किया जाता है. लेट लतीफी के फेर में फाइलें धूल फांक रही हैं. सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड की ओर से मगध परियोजना को मेगा प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है. [wpse_comments_template]

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