पोटका के नूतनडीह की टीम ने फिरकाल नृत्य की दी प्रस्तुति
[caption id="attachment_185681" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="190" /> फिरकाल नृत्य का प्रदर्शन करते कलाकार.[/caption] संवाद में आज आदिवासी समाज की अलग-अलग जनजातियों की परंपरा और संस्कृति से अवगत कराया गया. भूमिज समाज की ओर से पोटका के नूतनडीह से आई टीम ने फिरकाल नृत्य की प्रस्तुति देकर आगंतुकों का मन मोह लिया. वहीं रांची के लुपुंगडीह से आई उरांव जनजाति महिलाओं की टीम ने कड़सा नृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी. उक्त कड़सा नृत्य उरांव समाज के शादी-ब्याह में होता है. कार्यक्रम में टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (शेयर्ड सर्विसेज) अवनीश गुप्ता, कारपोरेट कम्युनिकेशन की हेड रूना राजीव कुमार, मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय, पीआरओ अमित गुप्ता सहित काफी संख्या में आदिवासी समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे. [caption id="attachment_185682" align="aligncenter" width="300"]
alt="" width="300" height="283" /> विभिन्न राज्यों के आदिवासी कलाकार.[/caption]
नगाड़ा टीम का डॉ. रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल ने किया नेतृत्व
[caption id="attachment_185683" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="168" /> गुंजल मुंडा.[/caption] संवाद कार्यक्रम में 11 सदस्यीय नगाड़ा टीम का नेतृत्व आदिवासी कला-संस्कृति के अगुआ पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल मुंडा ने किया. शहनाई और आदिवासी वाद्य यंत्र की धुन के बीच नगाड़ों की गूंज ने कार्यक्रम को रोमांचक बना दिया. बातचीत के दौरान डॉ. रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल मुंडा ने बताया कि आज आदिवासी कला-संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है. इसे जीवित रखना नितांत जरूरी है. अन्यथा यहां की सभ्यता-संस्कृति समाप्त हो जाएगी. कल्चर (संस्कृति) जीने का तरीका है, लेकिन यहां इसके साथ कोई जीना ही नहीं चाहता. आदिवासी भी चकाचौंध में इसे भूलते जा रहे हैं. इसे बचाने के लिए वृहद् स्तर पर आवाज उठानी चाहिए. बिरसा के सपनों का झारखंड के संबंध में उन्होंने कहा कि उसकी एक झलक भी नहीं दिखती है. राजनेता सत्ता की चकाचौंध में भूल गए हैं. बिरसा मुंडा ने जिस जल, जंगल और जमीन की बात की, वह आज नष्ट हो रही है. यहां के लोगों में वह विजन नहीं दिखता जो हमारे महापुरूषों ने देखा था. इस राज्य को संवारने के लिए लांगटर्म प्लानिंग की जरूरत है. साथ ही कला-संस्कृति को जीवंत रखने के लिए सोच में परिवर्तन की जरूरत है. टाटा स्टील के “संवाद” पर उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी पहल है. टीसीएस को डॉ. रामदयाल मुंडा ने काफी कुछ दिया है. [wpse_comments_template]

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