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सिपाहियों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है
हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिपाहियों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है. इसके साथ ही कोर्ट में यह भी कहा है कि इस तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह मामला झारखंड पुलिस के लगभग 50,000 से ज्यादा सिपाहियों से जुड़ा हुआ है. वर्ष 2017 में पुलिस मेंस एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष नरेंद्र कुमार के द्वारा वित्तीय उन्नयन की मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. इसे भी पढ़ें - लखीमपुर">https://lagatar.in/up-deputy-chief-minister-keshav-prasad-maurya-is-real-culprit-of-lakhimpur-violence/">लखीमपुरहिंसा के असली कसूरवार तो यूपी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं
प्रत्येक 10 वर्ष पर सिपाहियों को वित्तीय उन्नयन मिलना चाहिए
याचिका में कहा गया था कि प्रत्येक 10 वर्ष पर सिपाहियों को वित्तीय उन्नयन मिलना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार प्रशिक्षण का बहाना बनाकर उन्हें एमएससीपी यानी वितीय उन्नयन का लाभ नहीं दे रही है. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले को काफी गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद झारखंड पुलिस के लगभग 50,000 से ज्यादा सिपाहियों की निगाहें अब अगली सुनवाई पर टिकी हैं. इसे भी पढ़ें - BJP">https://lagatar.in/announcement-of-bjps-national-working-committee-only-raghuvar-got-the-place-from-jharkhand-then-became-national-vice-president/">BJPकी राष्ट्रीय कार्यसमिति का ऐलान, झारखंड से सिर्फ रघुवर को मिली जगह, फिर बने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष [wpse_comments_template]

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