हरिवंश जी उन विरले संपादकों में से हैं, जो अध्ययनशील हैंः अनंत
पुस्तक लोकार्पण समारोह में बतौर विशिष्ट वक्ता, इतिहासकार व खुदाबख्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक इम्तियाज अहमद ने कहा कि अतीत पर जो लिखित विवरण है, वही इतिहास है. अतीत के पन्नों को सार्थकता भी है, जरूर भी है. अतीत के सिलसिले में भविष्य का निर्माण का स्रोत मिलता है. उन्होंने पत्रकारिता से अतीत के अध्ययन की बात बताई. पुस्तक लोकार्पण समारोह का बीज वक्तव्य वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अनंत विजय ने दिया. अनंत विजय ने पत्रकारों के लेखन के दस्तावेजीकरण के महत्व पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि हरिवंश जी उन विरले संपादकों में से हैं, जो अध्ययनशील हैं. हम पाठकों का दायित्व है कि मोबाइल को छोड़ कर लाइब्रेरी जाएं. संपादकों के लेखों के संकलन की जो परंपरा रही है. उस अग्रिम पंक्ति में हरिवंश जी शामिल हुए हैं. उन्हें बहुत-बहुत बधाई.आज पुस्तक संस्कृति खत्म होना चिंता की बात हैः हरिश्चंद्र
लोकार्पण समारोह में बतौर अतिथि बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा व मोतिहारी के संस्कृतिकर्मी-लेखक विनय कुमार ने भी अपने विचार रखे. लोकार्पण समारोह का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी अनीश अंकुर ने किया. इस अवसर पर प्रकाशन संस्थान के संस्थापक हरिश्चंद्र शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. प्रकाशकीय वक्तव्य में शर्मा ने कहा कि आज पुस्तक संस्कृति खत्म होना चिंता की बात है. इस अवसर पर लोकगायिका चंदन तिवारी ने बिहारनामा का गायन किया. बिहारनामा में चंदन तिवारी ने अपने दल के साथ हिंदी, भोजपुरी, मगही, मैथिली गीतों के गौरवशाली कविताओं का गायन किया. चंदन तिवारी ने बाबू रघुवीर नारायण रचित कालजयी कविता बटोहिया से गीत गायन की शुरुआत की. इस क्रम में उन्होंने शारदा सिन्हा को याद करते हुए विद्यापति का गंगा गीत, बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे... का गायन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. बिहारनामा में उन्होंने दिनकर कविता, लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गीत प्रेम का गाता चल... आरसी प्रसाद सिंह की कविता, यह जीवन क्या है निर्झर है....गोपाल सिंह नेपाली की कविता, बदनाम रहे बटमार मगर, घर तो रखवालों को लूटा... का गायन किया. मगही कवि मथुरा प्रसाद नवीन की मशहूर कविता, कसम खा हियो गंगा जी के... गायन किया और अंत में रसूल मियां की रचना `राम का सेहरा` का गायन किया. संगीत सत्र का संचालन रंगकर्मी जेपी ने किया. इस आयोजन में आये सभी अतिथियों, श्रोताओं, दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापन लेखक, पत्रकार हरिवंश ने किया. `समय के सवाल` श्रृंखला के तहत हरिवंश की दस किताबें `प्रकाशन संस्थान` से प्रकाशित हुई हैं. इन दस किताबों के नाम क्रमश: 1.`बिहार: सपना और सच` 2. `झारखंड: संपन्न धरती, उदास बसंत` 3. `झारखंड: चुनौतियां भी-अवसर भी` 4. `राष्ट्रीय चरित्र का आईना` 5. `पतन की होड़` 6. `भविष्य का भारत` 7. `सरोकार और संवाद` 8. `अतीत के पन्ने` 9. `ऊर्जा के उत्स` 10. `सफर के शेष` हैं. इन पुस्तकों में बतौर पत्रकार, हरिवंश के 1977 से 2017 के बीच विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे गये पत्रकारी लेख शामिल हैं, जो रिपोर्ट, रिपोर्ताज, साक्षात्कार, अग्रलेख, यात्रा वृतांत आदि विधा में हैं. इन पुस्तकों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अंतिम दौर का साक्षात्कार है, तो चंद्रशेखर जैसे नेताओं से बातचीत भी. नक्सलवाद के शीर्ष नेताओं से लेकर अध्यात्म के शिखर मनीषियों से भी व्यवस्था और जीवन के गूढ़ प्रश्नों पर साक्षात्कार हैं. बिहार-झारखंड व देश के कुछेक अन्य सुदूर गांवों से रिपोर्ट हैं, तो अमेरिका और दुनिया के दूसरे विकसित मुल्कों की यात्रा और वहां के तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक दृश्यों का चित्रण भी. इसे भी पढ़ें - सुबह-सुबह">https://lagatar.in/actor-allu-arjun-was-released-early-in-the-morning-after-spending-the-night-in-jail/">सुबह-सुबहजेल से रिहा हुए अभिनेता अल्लू अर्जुन, पिता-ससुर रिसीव करने पहुंचे [wpse_comments_template]