Ranchi : उग्रवाद प्रभावित जिलों के थानों में जेनरेटर की आपूर्ति के बाद गलत नीयत से टेंडर रद्द किया गया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने सप्लायर द्वारा भुगतान की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही.
न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि आठ जुलाई निर्धारित की है. साथ ही अगले आदेश तक टेंडर रद्द करने से संबंधित जारी किये गये आदेश को स्थगित कर दिया है. इससे पहले इस मामले में प्रतिवादी बनाये गये पुलिस अधिकारियों को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया गया.
मेसर्स जी. एस इंटरप्राइजेज ने हाइकोर्ट में 25 मार्च 2024 को रिट याचिका दायर की थी. इसमें यह कहा गया था कि झारखंड पुलिस ने उग्रवाद प्रभावित जिलों के लिए जेनरेटर खरीद का टेंडर जारी किया था.
टेंडर के निपटारे के बाद उसे सफल घोषित करते हुए वर्क ऑर्डर जारी किया गया. इसके आलोक में जी.एस. इंटरप्राइजेज ने 10 केवी के 64 जेनरेटर की आपूर्ति कर दी. जेनरेटर की आपूर्ति के बाद पुलिस विभाग ने जेनरेटर की जांच के लिए एक टीम का गठन किया. टीम ने जांच के बाद जेनरेटरों को मानक के अनुरूप पाया. जांच में सब कुछ सही पाये जाने के बावजूद उसे भुगतान नहीं किया गया.
मेसर्स जी. एस इंटरप्राइजेज द्वारा हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर किये जाने के बाद पुलिस विभाग ने जेनरेटर खरीद के लिए जारी किये गये टेंडर को 27 मार्च 2025 को रद्द कर दिया.
टेंडर रद्द किये जाने के बाद मेसर्स जी. एस. इंटरप्राइजेज की ओर से हाईकोर्ट में आईए दायर किया गया और पुलिस विभाग द्वारा की गयी कार्रवाई को गलत करार देते हुए आपूर्ति किये गये जेनरेटर के बदले 2.66 करोड़ के भुगतान की मांग की गयी.
मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ में याचिका की सूनवाई हुई. न्यायालय ने याचिकादाता की दलील सुनने के बाद टेंडर को रद्द करने से संबंधित आदेश को स्थगित कर दिया. साथ ही यह भी लिखा कि टेंडर गलत नीयत से रद्द किया गया है.