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आदिवासी व कुड़मी समुदाय के बीच तनातनी, गरमाई झारखंड की सियासत

Ranchi : झारखंड में कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच आदिवासी संगठन सड़कों पर उतर आए. जहां एक तरफ कुड़मी समुदाय के लोग रेलवे स्टेशनों पर रेल चक्का जाम कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं, वहीं आदिवासी संगठन रांची में राजभवन के पास विशाल धरना प्रदर्शन किया.

 

आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. उनका कहना है कि आदिवासी समुदाय के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता. इसको लेकर झारखंड की सियासत गरमा गई है. वहीं सत्ता पक्ष में शामिल दल भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहें हैं.

 

राजनीतिक दलों को सता रहा राजनीतिक समीकरण बिगड़ने का डर

कुड़मी और आदिवासी समाज के विरोध के कारण राजनीतिक दलों को समीकरण बिगड़ने का भी डर सता रहा है. इस मुद्दे पर राजनीतिक समीकरण क्या होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा. क्या कुड़मी समुदाय की मांग को समर्थन मिलेगा या आदिवासी समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा. राजनीतिक दल इस मामले में स्पष्ट बयान देने से बच रहे हैं. 

 

आदिवासी संगठन की क्या है मंशा

आदिवासी संगठनों ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर कुड़मी समुदाय को आदिवासी में शामिल नहीं होने देंगे. उनका कहना है कि आदिवासी जन्म से होते हैं और उनकी पहचान और अधिकारों को नहीं छीना जा सकता.

 

शनिवार को आदिवासी संगठनों ने राजभवन के पास विशाल धरना प्रदर्शन किया और कुड़मी समुदाय की मांग का विरोध किया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आदिवासी जागरूक हैं और अपने हक और अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेंगे.

 

कुड़मी समाज की क्या है मंशा

कुड़मी समुदाय के लोगों ने विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर रेल चक्का जाम कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. उनका कहना है कि वे अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे और इसके लिए वे किसी भी तरह का आंदोलन करने को तैयार हैं. कुड़मी समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए. उनका कहना है कि वे आदिवासी समुदाय के साथ ही रहते हैं और उनकी संस्कृति भी आदिवासी समुदाय से मिलती-जुलती है.

 

कई दल कुड़मी के साथ को कई आदिवासी समाज के साथ 

कुछ राजनीतिक दल कुड़मी समुदाय के आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं, जबकि कुछ दल आदिवासी समुदाय के साथ खड़े हैं. अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या निर्णय लेती है और आंदोलन का भविष्य क्या होगा.

 

इधर सरकार की कोशिश है कि इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाए. सरकार ने दोनों समुदायों से बातचीत करने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
 

कांग्रेस ने बनाए रखी है दूरी

कांग्रेस पार्टी झारखंड में कुड़मी और आदिवासी दोनों समुदायों के वोट बैंक पर निर्भर करती है. ऐसे में पार्टी किसी एक पक्ष का साथ देकर दूसरे पक्ष को नाराज नहीं करना चाहती. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश इस मुद्दे पर स्पष्ट बयान देने से बच रहे हैं. उनका कहना है कि कुड़मी आदिवासी थे और रहेंगे भी, लेकिन पार्टी का स्टैंड केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा.

 

झामुमो ने बताया भाजपा की है साजिश

झामुमो के अनुसार कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग भाजपा की साजिश है. भाजपा राज्य को अशांत करना चाहती है. झामुमो ने कुड़मी नेताओं से अपील की है कि वे राज्य के हित में काम करें और भाजपा के झांसे में न आएं.

 

पार्टी ने हमेशा आरक्षण के मुद्दे पर कुड़मी समुदाय का समर्थन किया है और आगे भी करती रहेगी. कांग्रेस और झामुमो दोनों का कहना है कि कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मामला केंद्र सरकार के अधीन है. अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है.

 

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